जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वापसी? 23 लोगों की हत्या से उठे सवाल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-10-2021
जम्मू-कश्मीर में फिर सिर उठाने लगा है आतंकवाद
जम्मू-कश्मीर में फिर सिर उठाने लगा है आतंकवाद

 

मलिक असगर हाशमी /जम्मू
 
क्या जम्मू-कश्मीर में फिर आतंकवाद सिर उठाने लगा है. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने से सरहद के इस पार और उसपर आतंकवादियांे ने गतिविधिंया बढ़ाई हैं, क्या इसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर पर दिखने लगा है ?
 
दो दिन पहले बिहार के एक खोमचे वाले, एक दवा फरोश सहित तीन लोगों को आतंकवादियों ने जिस तरह मौत के घाट उतारा इसके कारण ये सवाल उठने लगे हैं. इस साल अब तक आतंकवादियों के हाथों 23 लोगों को जान गंवानी पड़ी है.
 
तकरीबन दो वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद ऐसी चौकसी बरती गई थी कि परिंदा भी पर मारने से डरता था. एक के एक बाद एक आॅपरेशन में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए थे. मगर जैसे ही व्यवस्था में ढील दी गई उन्होंने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है.
 
दो दिन पहले तीन लोगों की मौत पर कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रैना ने ऐलान किया है कि आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा. बावजूद इसके आतंकवादियों की बढ़ती घटनाएं तो चिंता पैदा करने ही लगी हैं.
 
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को भारत का मुकुट कहा जाता है. मगर जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद की छाया कई वर्षों से इसके शांतिपूर्ण माहौल और भाईचारे को खोखला कर रही है. चाहे 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों की बेघर होना हो हो.
 
कश्मीर में बेगुनाह लोगों की हत्या कर आतंकी लगातार जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब कर रहे हैं. अगर हम इस साल अकेले कश्मीर घाटी में हुई हत्याओं की बात करें तो लगभग 23 राजनीतिक कार्यकर्ता और नागरिक मारे गए हैं.
 
श्रीनगर जिले में अब तक आठ हत्याएं हो चुकी हैं. आंकड़े के अनुसार, कुलगाम में पांच, ओंटिपोरा पुलिस जिले के त्राल क्षेत्र में चार, बारामूला और अनंतनाग में दो-दो और बडगाम और बांदीपोरा में एक-एक हत्या शामिल हंै.
 
दक्षिण कश्मीर में शोपियां और पुलवामा पुलिस जिलों, जिन्हें उग्रवाद के केंद्र के रूप में जाना जाता है, में इस साल कोई नागरिक या राजनीतिक हताहत नहीं हुआ है, जबकि मध्य कश्मीर में गांदरबल और उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा में अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
 
27 जनवरी को, सुरा निवासी नदीफ हनीफ खान, जिसे पिछले साल 1 दिसंबर को अपने आवास पर बंदूकधारियों द्वारा गोली मारकर घायल कर दिया गया था, ने दम तोड़ दिया. 17 फरवरी के आतंकवादी हमले में गंभीर रूप से घायल श्रीनगर के एक प्रसिद्ध ढाबा मालिक के बेटे आकाश मेहरा की बाद में मौत हो गई.
 
बारामूला जिले के सोपोर इलाके में 29 मार्च को पार्षदों की बैठक के बाद दो पार्षद रियाज अहमद पीर और शम्सुद्दीन पीर की हत्या कर दी गई थी.मागम बडगाम के पूर्व पुलिस अधिकारी निसार अहमद की 11 अप्रैल को उनके इलाके में हुए हमले में मौत हो गई थी.
 
29 मई को जबलपुर के दो नागरिक, बजभरा, संजीद अहमद पांडे और अब्दुल अजीम पांडे उनके इलाके में मारे गए थे. 2 जून को दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले के त्राल इलाके में बीजेपी से जुड़े नगर पार्षद राकेश पंडिता की हत्या कर दी गई थी. 23 जून को हब्बा कदल निवासी उमर अहमद की उसके इलाके में बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी.
 
पुलवामा जिले के ओंटि पुरा के हरि पेरी गाम इलाके में 27 जून को एसपीओ फैयाज अहमद, उनकी पत्नी राजा बेगम और बेटी राफिया जान की हत्या कर दी गई थी. 23 जुलाई को त्राल के लोरगाम गांव के 35 वर्षीय जावेद अहमद मलिक की उनके आवास के पास एक बंदूकधारी ने हत्या कर दी थी.
 
श्रीनगर के नवा कदल इलाके में 27 जुलाई को स्थानीय गिरोह का हिस्सा बताए जाने वाले सफा कदल निवासी मेहरान अली पठान की हत्या कर दी गई थी. 9 अगस्त को श्रीनगर के लाल चौक में किराए के मकान में रैनावारी कुलगाम के गुलाम रसूल डार और उनकी पत्नी जवाहर बेगम की हत्या कर दी गई थी.
 
भाजपा से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ता जावेद डार की 17 अगस्त को कुलगाम जिले के ब्रासीलो इलाके में उनके आवास के पास हत्या कर दी गई थी. 19 अगस्त को उनकी पार्टी के सदस्य गुलाम हसन लोन की कुलगाम जिले के देवसर इलाके में उनके आवास के पास हत्या कर दी गई थी.
 
18 सितंबर को कुलगाम के नहामा इलाके में बंदूकधारियों ने प्रीत नगर कठियार निवासी एक गैर स्थानीय मजदूर की पहचान शंकर कुमार चैधरी के रूप में की थी. 2 अक्टूबर को श्रीनगर के करन नगर इलाके में चितबल श्रीनगर निवासी माजिद अहमद गोजरी की हत्या कर दी गई, जबकि बटमालू निवासी मोहम्मद शफी डार की उसके इलाके में हत्या कर दी गई.
 
 डॉ. बांद्रो लाल की 5 अक्टूबर को एक गैर-स्थानीय चप्पल विक्रेता वरिंदर पासवान और सूमो एसोसिएशन दिखाई इकबाल पार्क क्षेत्र, कालाबाजारी और शाहगंज हाजिन बांदीपोरा क्षेत्र के अध्यक्ष मुहम्मद शफी लोन की हत्या कर दी गई.
 
कश्मीर घाटी में आतंकी लगातार मासूमों के खून से हाथ धो रहे हैं. बीती शाम तीन बेगुनाह लोगों की हत्या कर दी गई, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के एलजी प्रशासन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. साथ ही तमाम राजनीतिक दल कश्मीरी पंडितों, आम लोग भी घटना की निंदा कर रहे हैं. जम्मू के कई इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन हुए और मांग की कि उनके हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.
 
इन तमाम घंटाओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि अफगानिस्तान में जैसे-जैसे तालिबान पाॅवरम में आते गए, जम्मू-कश्मीर में हत्याओं का सिलसिला बढ़ता गया. अब इन घटनाओं से तालिबान का कोई कनेक्शन है अथवा नहीं. सुरक्षा एजेंसियों को निश्चित ही इस दृष्टिकोण से भी अपनी जांच का दायरा बढ़ाना पड़ेगा.