नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भारत को ‘जेनोफोबिक’ बताने वाली हालिया टिप्पणी को खारिज कर दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि देश विविध समाजों के लोगों के लिए खुला और स्वागत करने वाला रहा है.
जयशंकर ने एक मीडिया हाउस से इस आरोप का भी खंडन किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत के स्वागत योग्य दृष्टिकोण को दर्शाता है.
2 अप्रैल को, बााइडेन ने कहा था कि भारत, चीन, जापान और रूस की ‘जेनोफोबिक’ प्रकृति उनकी आर्थिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार है और तर्क दिया कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, क्योंकि वह अपनी धरती पर अप्रवासियों का स्वागत करता है. उन्होंने वाशिंगटन में धन उगाहने वाले कार्यक्रम में अपने पुनः चुनाव के लिए प्रचार करते समय यह बयान दिया और तर्क दिया कि अगर देश आप्रवासन को अधिक अपनाते हैं, तो रूस और चीन के साथ जापान आर्थिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करेगा.
जयशंकर ने शनिवार को प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, ‘‘सबसे पहली बात, हमारी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा नहीं रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत हमेशा से... भारत एक बहुत अनोखा देश रहा है... मैं वास्तव में कहूंगा, दुनिया के इतिहास में, यह एक ऐसा समाज रहा है, जो बहुत खुला रहा है... विभिन्न समाजों से अलग-अलग लोग भारत आते रहे हैं.’’
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत के स्वागत योग्य दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमारे पास सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) है, जो मुसीबत में फंसे लोगों के लिए दरवाजे खोलने के लिए है... मुझे लगता है कि हमें उन लोगों के लिए खुला रहना चाहिए जिन्हें भारत आने की जरूरत है.’’
सीएए की आलोचना को खारिज करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से रिकॉर्ड पर कहा कि सीएए के कारण दस लाख मुसलमान इस देश में अपनी नागरिकता खो देंगे. उन्हें जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जा रहा? क्योंकि किसी की भी नागरिकता नहीं गई है.’’
जयशंकर ने अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसरों में चल रहे इजरायल विरोधी विरोध प्रदर्शनों पर भी बात की और पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए पश्चिमी मीडिया के एक वर्ग की आलोचना की, जिसमें सुझाव दिया गया कि यह ‘बहुत वैचारिक’ है न कि ‘उद्देश्यपूर्ण’ रिपोर्टिंग. उन्होंने कहा कि मीडिया का यह वर्ग वैश्विक कथा को आकार देना चाहता है और भारत को निशाना बना रहा है.
पाकिस्तान में आतंकवादियों की लक्षित हत्याओं में भारत की संलिप्तता का दावा करने वाली रिपोर्टों पर एक सवाल के जवाब में, जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवादी वहां बड़ी संख्या में हैं. सांख्यिकीय रूप से, जहां वे बड़ी संख्या में होंगे, उनके साथ चीजें होंगी. अब उन्होंने एक संगठन बनाया है, जो आतंकवादियों का उद्योग है... वहां चीजें हो सकती हैं.’’
इस बीच, बाइडेन द्वारा भारत, जापान और अन्य देशों को ‘जेनोफोबिक’ कहने के कुछ घंटों बाद, व्हाइट हाउस ने सहयोगियों और भागीदारों के लिए उनके ‘सम्मान’ पर जोर देते हुए, राष्ट्रपति के इरादों को स्पष्ट किया.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति की टिप्पणियां अमेरिका की आप्रवासी विरासत से प्राप्त ताकत पर जोर देने वाले एक व्यापक संदेश का हिस्सा थीं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बाइडेन का ध्यान भारत और जापान जैसे देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने पर है, जो पिछले तीन वर्षों में उनके कार्यों से स्पष्ट है.
उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है, भारत और जापान के बीच हमारे मजबूत संबंध हैं और अगर आप पिछले तीन वर्षों को देखें, तो राष्ट्रपति ने निश्चित रूप से उन राजनयिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है.’’
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