तमिलनाडु ने सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 5000 केस वापस लिए

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-09-2021
एमके स्टालिन
एमके स्टालिन

 

नई दिल्ली. तमिलनाडु सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और सितंबर 2020 में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज 5,000 से अधिक मामलों को वापस लेने का फैसला किया है. जिन मामलों को वापस ले लिया गया है, उनमें उनके खिलाफ दायर मामले भी शामिल हैं. 
 
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में विधानसभा में यह घोषणा की.
 
4 सितंबर के सरकारी आदेश के अनुसार, कुल 5,570 मामले वापस ले लिए गए हैं. इनमें मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ दर्ज 26 मामले (जो 2011 और 2021 के बीच दर्ज किए गए थे), कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 2,831 मामले, 2,282 मामले शामिल हैं. 
 
सीएए के विरोध में मामले, आठ-लेन परियोजना पर 405 मामले, मीथेन, न्यूट्रिनो, आदि, और 26 मामले कुडनकुलम संयंत्र का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए.
 
जिन मामलों को वापस ले लिया गया है, वे ऐसे हैं, जिनमें जांच अभी भी लंबित है या आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है. सरकार से यह सिफारिश की गई थी कि ऐसे मामलों में आगे की कार्रवाई पुलिस द्वारा छोड़ी जा सकती है. जिन मामलों में मुकदमा चल रहा है, उन मामलों में प्रभारी सहायक लोक अभियोजक को अभियोजन वापस लेने के लिए एक आवेदन पेश करने का निर्देश दिया गया है.
 
आदेश में कहा गया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दायर मामलों के लिए, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार कि कोई भी मामला उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना वापस नहीं लिया जाएगा, सरकार जल्द ही मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष इसका विवरण प्रस्तुत करेगी. तमिलनाडु सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके प्रभाकर द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है, ‘पुलिस महानिदेशक को मद्रास उच्च न्यायालय के साथ मामले को उठाने के लिए मौजूदा या पूर्व सांसदों / विधायकों के खिलाफ शामिल मामलों का विवरण सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है.’