नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है, जिसमें भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका का उद्देश्य देश में धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा देना है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका पर केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और भारतीय विधि आयोग को नोटिस जारी किया।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
न्यायमूर्ति कांत ने नोटिस जारी करते हुए यह संकेत दिया कि याचिका में किसी भी राजनीतिक दल को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इस पर पीठ ने उपाध्याय से कहा, "वे (दल) कहेंगे कि आप उनके विनियमन की बात कर रहे हैं, जबकि वे यहाँ उपस्थित ही नहीं थे।" इसके बाद न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत सभी राष्ट्रीय दलों को इस याचिका में पक्षकार बनाया जाए।
उपाध्याय की याचिका में आरोप लगाया गया है कि "फर्जी राजनीतिक दल" न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करते हैं, बल्कि कुख्यात अपराधियों और तस्करों से भारी रकम लेकर उन्हें पदाधिकारी नियुक्त करके देश की छवि को भी खराब करते हैं। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के लिए कोई कड़े नियम-कानून नहीं हैं, जिसके कारण कई अलगाववादी भी चंदा इकट्ठा करने के लिए अपनी पार्टियाँ बना लेते हैं।