Supreme Court quashes rape conviction, says intuition suggests reconciliation is possible
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में इस बात का संज्ञान लेते हुए एक व्यक्ति की सजा रद्द कर दी कि शिकायतकर्ता और दोषी ने आपस में शादी कर ली है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति से बने संबंध को गलतफहमी के कारण आपराधिक रंग दे दिया गया था।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, ‘‘जब यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष आया, तो मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद हमें यह अंतर्ज्ञान हुआ कि यदि अपीलकर्ता और पीड़िता एक-दूसरे से शादी करने का फैसला करते हैं, तो उन्हें एक बार फिर से साथ लाया जा सकता है।’’
अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों ने इसी साल जुलाई में शादी की थी और तब से साथ रह रहे थे।
अदालत ने पांच दिसंबर के अपने फैसले में कहा, ‘‘यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है, जहां इस अदालत के हस्तक्षेप पर अपीलकर्ता अंततः अपनी दोषसिद्धि और सजा दोनों को रद्द किए जाने से लाभान्वित हुआ।’’
न्यायालय ने उस व्यक्ति की अपील पर फैसला सुनाया है, जिसने अप्रैल 2024 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसकी सजा निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी।