आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
सोमवार रात को आकाश में एक अद्भुत दृश्य दिखाई देगा, जहां चांद सामान्य से थोड़ा बड़ा और अधिक चमकीला होगा। इसी खगोलीय घटना को 'सुपरमून' कहा जाता है।
अक्टूबर का यह सुपरमून इस साल के तीन सुपरमून में से पहला है। यह तब होता है जब पूर्णिमा का चांद पृथ्वी की अपनी कक्षा में पृथ्वी के अधिक करीब होता है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के अनुसार, यह चंद्रमा को साल के सबसे धुंधले चंद्रमा की तुलना में 14 प्रतिशत तक बड़ा और 30 प्रतिशत तक अधिक चमकीला दिखाता है। यह सूक्ष्म अंतर साल में कुछ ही बार होता है, कभी-कभी यह चंद्र ग्रहण जैसी अन्य खगोलीय घटनाओं के साथ भी होता है।
फिलाडेल्फिया में फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के मुख्य खगोलशास्त्री डेरिक पिट्स ने कहा, "यह वास्तव में बहुत असामान्य नहीं है।"
यदि आसमान साफ हो तो दुनिया में हर कोई बिना किसी विशेष उपकरण के ‘सुपरमून’ देख सकता है। हालांकि, इस अंतर को पहचानना कठिन हो सकता है, खासकर यदि लोगों ने पिछली रातों में नियमित चंद्रमा का अवलोकन नहीं किया हो।
पिट्स ने कहा, "यदि आप बाहर जाते हैं और चांद को देखते हैं जब वह आसमान में बहुत ऊंचाई पर होता है तो उसके संबंध में ऐसा कुछ भी नहीं होता जो आपको यह अंदाजा दे सके कि वह कितना बड़ा दिख रहा है।"
इस नवीनतम घटना में चंद्रमा पृथ्वी के लगभग 2,24,600 मील (3,61,459 किलोमीटर) की बहुत कम दूरी पर आ जाएगा। इस साल का सबसे ज्यादा नजदीकी ‘सुपरमून’ नवंबर में दिखाई देगा, जिसके बाद एक और ‘सुपरमून’ दिसंबर में होगा।
यह खगोलीय नजारा 2026 में जारी रहेगा जब दो चंद्र ग्रहण होंगे: मार्च में उत्तरी अमेरिका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण चंद्र ग्रहण और अगस्त में अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप में आंशिक चंद्र ग्रहण।