सुन्नी दावत-ए-इस्लामी इज्तमाः क्रिप्टोकरंसी हराम है या हलाल, जानिए उलेमा क्या बोले

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-12-2022
दावत-ए-इस्लामी इज्तमा
दावत-ए-इस्लामी इज्तमा

 

मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली / मुंबई 

सुन्नी दावत-ए-इस्लामी के 30 वें सालाना इज्तमा का दूसरा और आखिरी दिन फज्र की नमाज के बाद पवित्र कुरान, नात, मनकीब और हम्द और सलात की तिलावत के साथ शुरू हुआ. सुबह से दोपहर तक अनेक प्रचारकों ने सुधार विषयों पर बेहतरीन तरीके से सार्थक भाषण दिए. सुबह के सबसे महत्वपूर्ण सत्रों में से एक करियर काउंसिलिंग थी, जिसमें मैनचेस्टर से आए बैरिस्टर मोइन-उल-जमान और हाशेमिया हाई स्कूल के प्रिंसिपल अल्हाज कारी रिजवान ने आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रही आधुनिक पीढ़ियों के विभिन्न सवालों के जवाब दिए.

सभा का सबसे महत्वपूर्ण सत्र ‘विशेष प्रश्न और उत्तर’ था, जिसमें इस्लामिक मुद्दों के अनुसंधानकर्ता मुफ्ती मुहम्मद निजामुद्दीन रिजवी ने वर्तमान समय के महत्वपूर्ण मुद्दे क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी की हकीकत पर बात करते हुए इसके शरीयत नियम को स्पष्ट किया .

आज के कार्यक्रम में तहरीक सुन्नी दावत-ए-इस्लामी के प्रमुख संस्थान जामिया गोसिया नजम उलूम से स्नातक करने वाले छात्रों को आधुनिक मुद्दों के अनुसंधानकर्ता हजरत मुफ्ती मुहम्मद निजामुद्दीन रिजवी शेख अल-हदीस व आफता जामिया अशरफिया मुबारकपुरा के अध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया गया.

खातम बुखारी शरीफ के संक्षिप्त भाषण में उन्होंने कहा कि मनुष्य के कर्मों को तौला जाएगा और लोगों को उनके अच्छे कर्मों और बुरे कर्मों के लिए पुरस्कृत किया जाएगा.

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यूके से आए सुन्नी दावत-ए-इस्लामी के प्रचारक आरिफ पटेल ने अपने भावुक भाषण में कहा कि हमारे मोबाइल फोन में तरह-तरह के ऐप होते हैं और हम समय-समय पर उनकी जांच करते रहते हैं, उन्हें पढ़ते रहते हैं और उनसे जानकारी प्राप्त करते रहते हैं, लेकिन हममें से कितने लोगों के पास मोबाइल फोन है ?

मेरे पास पवित्र कुरान का एक ऐप है और पवित्र कुरान का ऐप रखने वालों में से कितने इस ऐप को खोल पाते हैं और पवित्र कुरान पढ़ने का सम्मान प्राप्त करते हैं. इस संवेदनशील मुद्दे को और खोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास मोबाइल फोन पर खर्च करने के लिए बहुत समय है, लेकिन धर्म सीखने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है. कोरोना महामारी जो हमारे लिए अल्लाह की ओर से एक चेतावनी थी, लेकिन यह चेतावनी भी हमें लापरवाही से नहीं जगा सकी.

सुन्नी दावत-ए-इस्लामी के प्रचारक मशहूर वक्ता सादिक रिजवी ने आज के ज्वलंत मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि आज युवा पश्चिमी सभ्यता की तरफ मदमस्त हाथी की तरफ दौड़ रहा है और इसीलिए वह नास्तिकता की ओर आगे बढ़ रहा है. सोशल मीडिया ने हमसे रुहानियत छीन ली है, हम भीतर से कमजोर होते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह हुआ है कि हमारे मन की शांति समाप्त हो गई है. सादिक रिजवी साहब ने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्या शांति की कमी है और इसका समाधान पवित्र कुरान की शिक्षाओं का पालन करना है.

खतीब मौलाना सैयदमीन-उल-कादरी साहिब (मालेगांव) ने आधुनिक युग के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि मुसलमान सबसे गरीब हैं और गरीबी इस्लाम और मुसलमानों का कारण है.

हालांकि दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति जिसके पास है, वह हमारे प्रिय पैगंबर है. हमारे नबी वह हैं जिन्होंने खुद व्यापार किया और व्यापार को प्रोत्साहित भी किया. यह प्रेरणा इस बात की अग्रदूत थी कि मुसलमानों ने सदियों तक व्यापार किया और इस व्यापार के माध्यम से दुनिया के एक बड़े हिस्से पर शासन किया और दुनिया का नक्शा बदल दिया.

अंत में संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम हमें अमीर बनाने आया, लेकिन हम गरीब हो गए और यह गरीबी इसलिए आई, क्योंकि हमने इस्लाम की शिक्षाओं की उपेक्षा की. उन्होंने जमींदारों से अनुरोध किया कि वे कारखानों और कंपनियों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों का निर्माण करें, शिक्षण संस्थान भी व्यापार का एक बड़ा स्रोत हैं और ज्ञान का भी स्रोत हैं.

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अमीर सुन्नी दावत-ए-इस्लामी कबीर हजरत मौलाना मुहम्मद शाकिर अली नूरी ने विचारोत्तेजक भाषण दिया और समाज की प्रमुख बीमारियों में से एक फिजूलखर्ची के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में फालतू खर्चा बढ़ गया है, हम शादियों में पैसा तो खर्च करते हैं, लेकिन निर्माण कार्य नहीं करते. उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान इस पैसे को निर्माण के लिए खर्च करते हैं, तो हर साल कई स्कूल, कॉलेज, मदरसे और अस्पताल बन सकते हैं.

अमीर सुन्नी दावत-ए-इस्लामी ने कहा कि अल्लाह तआला ने हमें इमामत और नेतृत्व के लिए दुनिया में भेजा और इसके लिए उसने हमें पाठक बनाया और उसने पढ़ने और लिखने पर सबसे ज्यादा जोर दिया, क्योंकि वह एक जूरी बन जाता है फिर नेता बन जाता है. दुनिया के सभी विकसित देश पाठक हैं और किताबों से उनका खास रिश्ता है. हम अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः प्राप्त कर सकते हैं. अंत में उन्होंने छह सूत्री सूत्र राष्ट्र को दिए कि जिस पर चलकर हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं. (1) सादगी अपनाओ. (2) वक्त की कीमत समझें. (3) सफाई रखें. (4) संसार और धर्म दोनों का ज्ञान प्राप्त करें. (5) अल्लाह, पवित्र पैगंबर और पवित्र कुरान से प्यार करें. (6) पांच वक्त की इबादत जारी रखें.

सभा का सबसे महत्वपूर्ण सत्र ‘विशेष प्रश्न और उत्तर’ था, जिसमें इस्लामिक मुद्दों के अनुसंधानकर्ता मुफ्ती मुहम्मद निजामुद्दीन रिजवी ने वर्तमान समय के महत्वपूर्ण मुद्दे क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी की हकीकत पर बात करते हुए इसके शरीयत नियम को स्पष्ट किया कि इस करेंसी के जरिए खरीद-बिक्री जायज नहीं है. क्योंकि शरीयत के हिसाब से न तो वह आपके कब्जे में है और न ही सरकार के पास इसकी गारंटी है. इसमें नुकसान और धोखा है, इसलिए यह जायज नहीं है. हां, अगर सरकार इसकी गारंटी देती है, तो इसके उपयोग की समीक्षा नोट्स की तरह की जाएगी. तब यह जायज है.

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इसी से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन देशों में क्रिप्टो करेंसी का चलन है, उन्हें अपने ज्ञान और न्यायशास्त्र की जांच करनी चाहिए और इसके फैसले की व्याख्या करनी चाहिए. मुफ्ती साहब ने बिया इस्तिसना (फिरमाशी बिया) यानी मंगवाकर और पैसे देकर कुछ बनाना) के बारे में कहा. अपनी दलील देते हुए उन्होंने कहा कि बिया इस्तिसना पैगम्बरे इस्लाम के जमाने में भी किया जाता था, लेकिन उसका स्वरूप अलग था. उसी बिया इस्तिस्ना के विभिन्न पहलुओं पर मुफ्ती साहब ने बात की.

मुफ्ती साहब ने धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में इस्लामी कानून की व्याख्या करते हुए कुरान और हदीस की रोशनी में कहा कि इस्लाम में जबरदस्ती नहीं है. भारत देश के बारे में मुफ्ती साहब किबला ने कहा कि हमारा देश एक फूल है और इस फूल में तरह-तरह के फूल होते हैं और इस खूबसूरत गुलशन की हिफाजत करना हम सबकी जिम्मेदारी है.

उन्होंने सभा में उपस्थित लाखों मुसलमानों को इस्लाम की धार्मिक सहिष्णुता के बारे में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया और कहा कि इस्लाम ने सामाजिक सद्भाव और आपसी सद्भाव स्थापित करने के लिए सभी मानवता को पांच चीजों का पालन करने के लिए कहा है. जिसमें धर्म, जीवन, धन, बुद्धि और वंश की रक्षा होती है. मुसलमान जिस भी देश में रहते हैं, वे वहां के कानूनों और सरकारों के संविधान से बंधे होते हैं. और ऊपर बताए गए पांच नियमों का पालन करें और अन्य धर्मों की भी रक्षा करें. अपने जीवन, संपत्ति, बुद्धि और वंश की रक्षा करें और अन्य धर्मों के लोगों की भी रक्षा करें.

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महान धार्मिक विद्वान और कुरान के विशेषज्ञ मौलाना जहीरुद्दीन खान रिजवी मदजिला अल अली ने इस्लामी खिताब किया. उन्होंने कहा, ‘‘मस्जिद को लाजिम पकड़ो और जमात को टुकड़े-टुकड़े करने से बचो.’’

हजरत ने हाजिर लोगों से कहा कि अगर कोई तुमसे पूछे कि तुम्हारे नबी क्या लाए हैं, तो तुम कहना कि हमारे नबी सच्चाई लेकर आए. हजरत ने बड़े अफसोस के साथ फरमाया कि आज जलसे हो रहे हैं, तकरीरें हो रही  हैं, मगर वो बात नहीं आ पा रही है, जो होनी चाहिए. आखिर में उन्होंने फरमाया कि हमें सच्चा बनना लाजिमी है, जब हम सच्चे हो जाएंगे, तो नेक हो जाएंगे, और जब नेक हो जाएंगे, तो जन्नती हो जाएंगे. 

मुफाकिर इस्लाम अल्लामा कमर-उल-जमां आजमी ने अपने खुसूसी खिताब में फरमाया कि दुनिया के हजारों साल के सफर में मुख्तलिफ निजामे-फिक्र और निजामे-अम्ल देखे, सबका दावा यही था कि हमारे अंजाम सबसे कामयाब और सबसे देरपा हैं. लेकिन इतिहास बताता है कि ये सब सिस्टम विफल हैं. इनमें से कोई भी व्यवस्था दुनिया की विभिन्न चुनौतियों के सामने टिक नहीं पाई, लेकिन जब इस्लामिक व्यवस्था आई, तो उसने सदियों तक दुनिया के कई हिस्सों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखा. इस व्यवस्था ने विश्व को विकास के शिखर पर पहुँचा दिया.

अल्लामा आजमी ने इतिहास के साक्ष्यों से कहा कि जब तक इस्लामी व्यवस्था दुनिया में रही, इसने न केवल क्षेत्रों को जीत लिया, बल्कि दिलों को भी जीत लिया और इस तरह जीत लिया कि इस्लाम पूर्व और पश्चिम में फैलता रहा. अल्लामा ने कहा कि जब तक इस्लाम फैला, तब तक दुनिया सफल और शांतिपूर्ण थी, लेकिन जब से इसने इस्लाम की हुकूमत को छोड़ा, तबसे तबाही आ गई और आज पूरी दुनिया बारूद के ढेर पर है.

अल्लामा आजमी ने हाल ही में कहा था कि दुनिया के लोग प्रगति करना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रगति और सफलता तभी मिल सकती है, जब इस्लामी शिक्षाओं का पालन किया जाए और इसके लिए मुसलमानों की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अपने कार्यों के माध्यम से इस्लाम की सार्वभौमिकता को साबित करना है. जिस दिन मुसलमान अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर लेंगे उस दिन हमें हमारा ही नहीं दुनिया का भी विकास करने से कोई नहीं रोक सकता.

बरेली शरीफ से विशेष दौरे पर आए पीर तारिकत नबीरा आला हजरत, मौलाना शाह मोहम्मद मनन रजा खान मनानी मियां साहब ने सुन्नी दावत-ए-इस्लामी को इतने सफल और शानदार इज्तमा के आयोजन के लिए बधाई दी. उस्मान भाई ने श्रोताओं का धन्यवाद किया.

आज की जमात का एक विशेष सत्र एक सामूहिक इबादत थी. इस इबादत के लिए मुंबई, उपनगरों, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से लाखों लोग आए. रात साढ़े नौ बजे पूरा आजाद मैदान अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, आंसुओं और सिसकियों से गूंज उठा. इज्तमा में आए विद्वानों और शिक्षकों को तहरीक की तरफ से कुरान पाक तोहफे के तौर पर पेश की गईं.