भुवनेश्वर
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) जाने वाले देश के पहले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष एक बेहद रोमांचक जगह है, लेकिन वहां गुरुत्वाकर्षण न होने से शरीर और दिमाग लगातार भ्रम में रहते हैं।
यहां स्कूली छात्रों से बातचीत में शुक्ला ने बताया, “अंतरिक्ष मज़ेदार है क्योंकि वहां सब कुछ—आपका शरीर, सामान—सब तैरता रहता है। भारी से भारी चीज़ें भी बिना ताकत लगाए आसानी से हिलाई जा सकती हैं।” उन्होंने आईएसएस में अपने उन मज़ेदार पलों का वीडियो भी दिखाया, जिसमें अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे को गेंद की तरह उछालते दिखते हैं।
लेकिन उन्होंने बताया कि मज़े के साथ-साथ अंतरिक्ष का वातावरण शरीर के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। शुक्ला ने कहा, “ऊपर-नीचे का अंदाज़ा ही नहीं लगता। मेरा दिमाग पूरी तरह भ्रमित था। तीन-चार दिनों तक भूख नहीं लगी क्योंकि पेट के अंदर भी सब कुछ तैर रहा था।”
उन्होंने बताया कि गुरुत्वाकर्षण न होने से मांसपेशियों पर दबाव नहीं पड़ता, इसलिए वे तेज़ी से क्षीण हो जाती हैं। “अंतरिक्ष में मेरे 4.5 किलो से ज़्यादा मांसपेशियां कम हो गई थीं,” उन्होंने कहा।
धरती पर लौटने के बाद शरीर को फिर से सामान्य होने में काफी समय लगता है। शुक्ला ने कहा, “दिमाग इतना शक्तिशाली है कि वह आपको वही मानने पर मजबूर कर देता है, जो सच भी न हो।”
छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत को बड़ी संख्या में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की जरूरत होगी। इसलिए बच्चों को जिज्ञासा और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान केवल अंतरिक्ष यात्री बनने तक सीमित नहीं है—इसमें स्पेस सूट डिजाइनिंग से लेकर पोषण विशेषज्ञ तक अनगिनत अवसर मौजूद हैं।
कार्यक्रम में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी छात्रों को अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी अपनाने की प्रेरणा दी और कहा कि केंद्र सरकार ने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।