कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को उन खबरों पर चिंता व्यक्त की, जिनमें दावा किया गया कि संसद में सांसदों को ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ कहने से रोका जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बंगाल की पहचान को कमजोर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
रेड रोड पर बीआर आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद ममता ने कहा, “मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं, लेकिन मैं सांसदों से पूछूंगी। ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ संसद में क्यों नहीं कहा जा सकता? यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं। क्या बंगाल की पहचान को खत्म करने की कोशिश की जा रही है?”
बनर्जी ने बंगाल के लोकतांत्रिक और देशभक्त इतिहास का हवाला देते हुए कहा, “बंगाल देश का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, एकता और विविधता के लिए लड़ा है। यह गर्व की बात है कि बंगाल ने हमेशा भारत के लोकतंत्र की रक्षा की है।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में ‘वंदे मातरम’ लिखा, जिसे 1950 में आधिकारिक राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया गया।
संसद सचिवालय ने 2024 में सदस्यों को स्मरण कराया था कि सदन के अंदर या बाहर ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारों का प्रयोग न किया जाए, क्योंकि यह संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन माना जाता है। ‘राज्यसभा के सदस्यों के लिए हैंडबुक’ में यह परामर्श संसदीय सत्र शुरू होने से पहले जारी किया गया था।