नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय में बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल हुए। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने अतिथियों का स्वागत किया और समारोह को संबोधित किया।
कार्यक्रम में शामिल शीर्ष न्यायाधीशों में भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योनपो नोरबू शेरिंग, केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के. कूम, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीति पदमन सुरसेना प्रमुख थे। इसके अलावा केन्या, नेपाल, श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय और मलेशिया के संघीय न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश भी उपस्थित रहे।
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, “वे सभी सर्वोच्च न्यायालय में संविधान दिवस समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए आए हैं। यह अवसर हमारे लिए गर्व का पल है, और हम सभी का स्वागत करते हैं।”
अतिरिक्त भाषणों में मॉरीशस की न्यायाधीश मुंगली-गुलबुल ने भारतीय न्यायशास्त्र की सराहना की और कहा कि उनके देश को भारतीय अदालतों से मार्गदर्शन प्राप्त होता है। केन्या की न्यायाधीश कूम ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायशास्त्र और कार्यों का सम्मान व्यक्त किया। भूटान के न्यायाधीश शेरिंग ने भारतीय संविधान के दृढ़ ढांचे और न्यायिक प्रणाली की प्रशंसा की। श्रीलंका की न्यायाधीश सुरसेना ने दोनों देशों की कानूनी समानताओं का उल्लेख किया।
वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि समारोह केवल न्यायिक सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि भारत और अन्य देशों के प्राचीन और ऐतिहासिक संबंधों को भी दर्शाता है।
संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है और इसे राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इस वर्ष समारोह में भारत के राष्ट्रपति और विभिन्न देशों के न्यायाधीशों की उपस्थिति ने इसे और विशेष बनाया।