आवाज़ द वाॅयस / नई दिल्ली
बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ अभिनेता धर्मेंद्र के गुज़रने को दो दिन हो गए हैं। इस दौरान उनके फ़िल्मी करियर और ख़ास तौर पर फ़िल्म शोले में उनके चुनौती भरे और मोहक अभिनय की खूब तारीफ़ हो रही है। लेकिन इस दुख के बीच, भारतीय सिनेमा के एक और महान प्रतीक ने अचानक लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है: वह आइकाॅनिक मोटरसाइकिल जिस पर फ़िल्म शोले में जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) ने सवारी की थी और ‘यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ जैसा कालजयी गीत गाया था।
फ़िल्म का वह दोस्ती गीत, जिसे 21दिनों तक शूट किया गया था, भारतीय सिनेमा में अटूट दोस्ती का प्रतीक बन गया। आज, इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI-2025) में यह मोटरसाइकिल एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है। यह उत्सव का एक मज़ेदार सेलिब्रेशन होना था, लेकिन सोमवार, 24नवंबर को मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र के निधन के बाद, यह अचानक एक भावनात्मक स्मारक और उनके दौर की एक दर्दभरी याद बन गई है।

युद्ध के मैदान से बड़े परदे तक: BSA WM20 की कहानी
यह पौराणिक मोटरसाइकिल कोई साधारण बाइक नहीं है। यह एक मूल 1942 मॉडल की BSA WM20 है। 'W' का निशान इसके वॉरटाइम (युद्धकाल) डिज़ाइन को दर्शाता है, जिसका अर्थ है कि यह ऐतिहासिक मशीन मूल रूप से ब्रिटिश सैन्य मोटरसाइकिल के रूप में बनाई गई थी। इसका सफ़र युद्ध के मैदानों से शुरू होकर बड़े परदे तक पहुँचा, और अब एक बार फिर IFFI-2025में भारतीय सिनेमा के एक शक्तिशाली और पुरानी यादों भरे प्रतीक के रूप में आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है।
कर्नाटक के सूचना और जनसंपर्क विभाग (DIPR) ने इस 83साल पुरानी बाइक को ख़ास तौर पर प्रदर्शित किया है। DIPR के कमिश्नर और ADGP हेमंत निबालकर ने बताया कि 'शोले' के 50साल पूरे होने पर ऐसी यादगार चीज़ दिखाने की इच्छा थी, जो लोगों को तुरंत फ़िल्म की दुनिया में ले जाए। उन्होंने कहा, "चूँकि फ़िल्म की शूटिंग यहीं बेंगलुरु के आसपास हुई थी, इसलिए इसे प्रदर्शित करने के लिए इससे बेहतर जगह कोई हो ही नहीं सकती थी।"
हर कोई एक ही सवाल पूछता है: "क्या ये बाइक अब भी चलती है?" निबालकर मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं, "हाँ, बिल्कुल। 83साल पुरानी यह बाइक आज भी शानदार तरीके से चलती है।" इस बाइक का सफ़र भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है, जो हर गुज़रते पल के साथ पुराने दौर की मोहक झलक और रोमांच अपने साथ लिए हुए है।

यादों के खज़ाने का संरक्षक
इस ऐतिहासिक बाइक का वर्तमान सफ़र और भी दिलचस्प है। इस विंटेज मशीन को पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव और बेंगलुरु बिज़नेस कॉरिडोर के चेयरपर्सन एस. के. अतीक ने क़रीब तीन साल पहले ख़रीदा था। यह बाइक मूल रूप से कर्नाटक के एक परिवार की विरासत थी, जो दादा से पोते तक चली आ रही थी।
कई लोग इसे अक्सर 'बुलेट' समझ लेते हैं, जिस पर अतीक हँसते हुए कहते हैं, "ये असली BSA है, अपनी अलग पहचान वाली।" ख़ुद बाइक प्रेमी होने के नाते, अतीक ने इसके लिए ओरिजिनल BSA के पुर्ज़े ढूंढ-ढूंढकर इसे नए रूप में खड़ा किया।
अतीक के लिए यह बाइक सिर्फ़ एक मशीन नहीं, बल्कि यादों का खज़ाना है। वे भावुक होकर बताते हैं कि बचपन में 'शोले' देखने के लिए वे अक्किरमपुरा से बेंगलुरु आए थे और कपाली थिएटर के बाहर पाँच घंटे लाइन में खड़े रहे थे। वह फ़िल्म एक पूरे दौर की पहचान थी। पुराने मैसूर राज्य का रजिस्ट्रेशन नंबर MYB 3047लगाए यह बाइक अब अतीत और वर्तमान के बीच की एक मज़बूत कड़ी बन गई है।
अचानक एक भावनात्मक श्रद्धांजलि
IFFI में, जहाँ फ़िल्म की 50वीं सालगिरह का उल्लास होना था, धर्मेंद्र के निधन ने माहौल को अचानक ग़मगीन कर दिया। फ़ेस्टिवल के पहले दिन से ही बाइक को कांच के घेरे में रखा गया है। लोग इसके पास से यूं ही नहीं गुज़रते। वे रुकते हैं, ग़ौर से देखते हैं, तस्वीरें लेते हैं, और फिर वे एक पल के लिए चुपचाप खड़े हो जाते हैं, मानो किसी याद से बात कर रहे हों।
कई आगंतुकों के लिए, यह अब सिर्फ़ एक "फ़िल्म प्रॉप" नहीं रह गया है। यह जय और वीरू की दोस्ती की याद दिलाता है। उस फ़िल्म की याद दिलाता है जिसके साथ वे बड़े हुए थे। और अब, उस महान अभिनेता की याद दिलाता है जो अब हमारे बीच नहीं है।
फ़ेस्टिवल में बाइक के लिए कोई औपचारिक श्रद्धांजलि देने की योजना नहीं थी, लेकिन यह स्वयं में एक श्रद्धांजलि बन गई। जैसे ही लोग वेन्यू पर पहुँचे और रोशनी में बाइक को चमकते देखा, सब कुछ अलग लगा। पहले यह सिर्फ़ पुरानी यादें थीं, लेकिन धर्मेंद्र के गुज़र जाने के बाद, वे यादें और भी गहरी हो गईं।
आँसू पोंछते हुए एक दर्शक ने कहा, "यह बहुत, बहुत बुरी ख़बर है। वह सिर्फ़ एक इंसान नहीं थे जो चले गए; वह एक पूरा दौर था।" 'शोले' के पोस्टर की ओर इशारा करते हुए, उसने कहा, "आज यह 50साल पुराना पोस्टर और यह बाइक देखकर... दुख होता है कि इतना बड़ा लेजेंड अब हमारे बीच नहीं है।"
सिनेमा की शोहरत से जुड़ी क़ीमत
आज, 1942 की BSA WM20 बाइक की भी एक मज़बूत रिकॉल वैल्यू है, जिसकी यादें सिनेमा की शोहरत से बहुत क़रीब से जुड़ी हुई हैं। किसी भी विंटेज बाइक की क़ीमत उसकी जगह, कंडीशन और रेस्टोरेशन वैल्यू के आधार पर अलग-अलग होती है।
इस मिलिट्री क्लासिक में ओरिजिनल "W" (वॉरटाइम) कॉम्पोनेंट की मौजूदगी कलेक्टरों के बीच इसकी वैल्यू बढ़ाने में मदद करती है। बाज़ार विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 तक भारत में इसकी क़ीमत तय नहीं है, लेकिन इसी तरह के विंटेज मॉडल की हालिया मार्केट लिस्टिंग 5लाख से 10लाख रुपये (INR) के बीच है। 'शोले' से इसके जुड़ाव को देखते हुए, भारत में इसकी डिमांड और कलेक्टिबिलिटी बहुत ज़्यादा हो सकती है।
यह बाइक, जिसका नंबर MYB3047 है, दशकों से वैसी ही है जैसी वह थी। यह वही मशीन है जो पीढ़ियों तक दोस्ती की निशानी बनी रही। और अब, धर्मेंद्र के बिना, यह अचानक समय का एक ऐसा टुकड़ा लगता है जो वापस नहीं आ सकता।
'शोले', जिसने इस साल अगस्त में 50 साल पूरे किए, भारत की अब तक की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक है। धर्मेंद्र की वीरू, अमिताभ बच्चन की जय, और दोनों के बीच का रिश्ता भारतीय सिनेमा के DNA का हिस्सा बन गया। आज, यह बाइक उसी अमर रिश्ते और एक युग के ख़त्म होने की कहानी कहती है।