मैसुरु
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को इस वर्ष के मैसुरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के फैसले का पुरज़ोर बचाव किया है। उन्होंने इसे एक धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक उत्सव करार दिया और कहा कि यह उत्सव केवल किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।
मुख्यमंत्री ने रविवार को संवाददाताओं से कहा,“दशहरा एक 'नाडा हब्बा' (राज्य पर्व) है। यह सिर्फ हिंदुओं का नहीं, बल्कि सभी धर्मों—हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन— के लिए है। इसका उद्घाटन किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि दशहरा आयोजन समिति ने उन्हें उद्घाटनकर्ता के चयन का अधिकार सौंपा था, और उन्होंने बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने का निर्णय लिया। इससे पहले भी मुस्लिम समुदाय के प्रसिद्ध कन्नड़ कवि के.एस. निसार अहमद को दशहरा उद्घाटन के लिए बुलाया गया था।
सिद्धारमैया ने विरोध करने वालों को “इतिहास से अनभिज्ञ कट्टरपंथी” बताया और कहा कि दशहरा का आयोजन हैदर अली, टीपू सुल्तान और दीवान मिर्जा इस्माइल के शासनकाल में भी हुआ करता था।“यह पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष उत्सव है। कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है।”
भाजपा पर राजनीतिकरण का आरोप
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल इस आयोजन को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रही है।
दरअसल, विवाद की जड़ में बानू मुश्ताक का एक पुराना वीडियो है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कन्नड़ भाषा की देवी भुवनेश्वरी की पूजा को अल्पसंख्यकों के लिए ‘विभाजनकारी’ बताया था। इस पर भाजपा नेताओं—कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र और सांसद यदुवीर वाडियार—ने मांग की कि मुश्ताक पहले देवी चामुंडेश्वरी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें।
बानू मुश्ताक ने सफाई दी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और सोशल मीडिया पर उनके भाषण के कुछ चुनिंदा अंश ही साझा किए गए हैं।
“क्या कन्नड़ से प्रेम के बिना लिखा जा सकता है?”
इस पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तीखा जवाब देते हुए कहा:“उनकी किताब 'हृदय हनते' किस भाषा में है? क्या कोई व्यक्ति कन्नड़ तायी (मातृभाषा) का सम्मान किए बिना कन्नड़ में लिख सकता है? उनकी सारी साहित्यिक कृतियां कन्नड़ में हैं।”
उन्होंने भाजपा पर बिना वजह का विरोध करने का आरोप लगाते हुए कहा,“यह ‘नाडा हब्बा’ है और इसमें हर समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं। बानू मुश्ताक को उद्घाटन के लिए आमंत्रित करना पूर्णत: उचित और उचित निर्णय है।”
दीपा भस्थी को लेकर उठे सवाल
जब भाजपा की ओर से यह सवाल उठाया गया कि मुश्ताक के साथ बुकर पुरस्कार साझा करने वाली अनुवादक दीपा भस्थी को क्यों नहीं बुलाया गया, तो मुख्यमंत्री ने कहा,“उद्घाटन केवल एक व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। दीपा भस्थी को बाद में मैसूर पैलेस के सामने सम्मानित करने पर विचार किया जाएगा। वैसे भी, सरकार ने दोनों को 10-10 लाख रुपये का पुरस्कार देकर पहले ही सम्मानित किया है।”
उत्सव का कार्यक्रम
इस वर्ष मैसुरु दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा और इसका समापन 2 अक्टूबर को ‘विजयादशमी’ के साथ होगा। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि यह पर्व कर्नाटक की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।