हिमाचल: शिक्षा मंत्री का सर्कुलर, स्कूल में इस्लामिक ड्रेस कोड, सोशल मीडिया पर बवाल, सांप्रदायिक सद्भाव की अपील

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-03-2025
  Rohit Thakur
Rohit Thakur

 

शिमला. राज्य की राजधानी शिमला में एक निजी स्कूल द्वारा हाल ही में जारी किए गए सर्कुलर ने विवाद को जन्म दे दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इसका उद्देश्य सांप्रदायिक कलह पैदा करना था. हालांकि, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इन दावों का खंडन करते हुए इस बात पर जोर दिया है कि सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से बढ़ाया जा रहा है.

मंत्री ठाकुर ने कहा, ‘‘इस मुद्दे को केवल सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. मामले की जांच की जाएगी. हालांकि, स्कूल प्रशासन की ओर से संदेश केवल सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के इरादे से जारी किया गया था.’’

उन्होंने निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले तथ्यों को सत्यापित करने की आवश्यकता पर बल दिया, यह देखते हुए कि संबंधित स्कूल की लंबे समय से प्रतिष्ठा है. ठाकुर ने कहा, ‘‘आज ही मुझे मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से इस मामले की जानकारी मिली. हम विवरण की पुष्टि करेंगे, क्योंकि जिस स्कूल का नाम लिया जा रहा है, वह यहां का एक सुस्थापित, प्रतिष्ठित कॉन्वेंट संस्थान है. हिमाचल प्रदेश अपने सांप्रदायिक सद्भाव और सद्भावना के लिए जाना जाता है, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह बरकरार रहे.’’

इस तरह के मुद्दों को बढ़ाने में सोशल मीडिया की भूमिका को स्वीकार करते हुए, ठाकुर ने उन लोगों के खिलाफ चेतावनी दी जो जानबूझकर समाज में विभाजन पैदा करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जो अनावश्यक रूप से दरार पैदा करने का प्रयास करते हैं. इन मामलों को शांत किया जाना चाहिए. मैंने पूरे मामले की जानकारी जुटाई है, क्योंकि आज के सोशल मीडिया के युग में ऐसे मुद्दों को बढ़ने में देर नहीं लगती. हम सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के पक्ष में हैं. सभी धर्मों के प्रति सम्मान के साथ हमारा सामाजिक ताना-बाना बरकरार रहना चाहिए. यही वह चीज है जिसे हम बनाए रखने का प्रयास करेंगे.’’

आरोपों के जवाब में, विवाद के केंद्र में रहने वाले स्कूल, ऑकलैंड हाउस स्कूल ने दावों का खंडन करते हुए एक मजबूत बयान जारी किया है और जिम्मेदार डिजिटल आचरण का आह्वान किया है. स्कूल ने सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहार मनाने की अपनी पुरानी परंपरा को स्पष्ट करते हुए कहा कि सर्कुलर में जूनियर क्लास को 2 मार्च को ईद मनाने और इस अवसर पर छोटी टोपी और कुर्ता पायजामा के ड्रेस कोड के साथ आने को कहा गया है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ व्यक्तियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमारे संस्थान के बारे में गलत, भ्रामक और सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ संदेश पोस्ट किए हैं. ऑकलैंड हाउस स्कूल ने हमेशा होली, ईद, दिवाली, गुरुपर्व और क्रिसमस जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहारों को धार्मिक आदेश के रूप में नहीं, बल्कि भारत की बहुलवादी भावना के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाया है. हमारा उद्देश्य सभी पृष्ठभूमि के बच्चों के बीच सहानुभूति, समझ और सम्मान को बढ़ावा देना है. भागीदारी हमेशा स्वैच्छिक होती है और इसमें कोई धार्मिक अनुष्ठान या निर्देश शामिल नहीं होता है.’’

तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की निंदा करते हुए स्कूल ने आगे मीडिया में बयान जारी किया, ‘‘हम इन समारोहों को धार्मिक प्रचार के रूप में गलत तरीके से पेश करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं. इस तरह की हरकतें केवल सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुँचाने और जनता को गुमराह करने का काम करती हैं. हम विशेष रूप से चिंतित हैं कि इन पोस्टों ने आंतरिक संचलन के लिए सख्ती से बनाई गई जानकारी का खुलासा किया है, जिससे गोपनीयता का उल्लंघन होता है, व्यक्तियों को खतरे में डाला जाता है और जिम्मेदार डिजिटल आचरण के मानदंडों का उल्लंघन होता है. यह प्रतिबंधित जानकारी का दुरुपयोग है.’’

स्कूल प्रशासन ने सोशल मीडिया से भ्रामक सामग्री को हटाने का आह्वान किया और जनता से जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह किया. इसमें आगे लिखा है, ‘‘हम सभी व्यक्तियों और प्लेटफॉर्म से सम्मानपूर्वक आग्रह करते हैं कि वे तुरंत ऐसे पोस्ट हटा दें और संस्थागत और व्यक्तिगत सुरक्षा से समझौता करना बंद करें. ऑकलैंड हाउस स्कूल संविधान में निहित मूल्यों और विविधता में एकता के आदर्शों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. हम समाज के सभी सही सोच वाले सदस्यों से इस तरह के विभाजनकारी और अनैतिक कार्यों के खिलाफ खड़े होने और आपसी सम्मान, गरिमा और सच्चाई पर आधारित शिक्षा का समर्थन करने का आह्वान करते हैं.’’

यह विवाद सोशल मीडिया पर गलत सूचना और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की इसकी क्षमता पर बढ़ती चिंता को उजागर करता है. अब राज्य सरकार इस मामले पर गौर कर रही है और अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे समावेशिता और सांप्रदायिक एकता के मूल्यों की रक्षा सुनिश्चित होगी.