आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
हिन्दू धर्म में शक्ति पीठों का अत्यधिक महत्व है। यह पीठ वे स्थान हैं, जहाँ देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। जब भगवान शिव ने माता सती की मृत देह को अपने कंधे पर लेकर पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया, तो जहां-जहां उनका शरीर गिरा, वहाँ शक्ति पीठ स्थापित हुए। प्रत्येक शक्ति पीठ से जुड़ी एक विशेष कथा है, जो श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।
यहां 51 शक्ति पीठों की सूची दी गई है, साथ में उनके संबंधित शरीर के अंगों के नाम, जो देवी सती के शरीर के अंगों के गिरने से जुड़े हुए हैं:
दक्षिणेश्वर (कोलकाता) – दाहिना अंगूठा
पुरी (ओडिशा) – दाहिना जांघ
कामाख्या (असम) – yoni (योनि)
बजरेश्वरी (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश) – दाहिना घुटना
विंध्याचल (उत्तर प्रदेश) – दाहिना कूल्हा
ज्वालामुखी (हिमाचल प्रदेश) – दाहिना स्तन
कन्याकुमारी (तमिलनाडु) – दाहिना हाथ
माधवेश्वर (मध्य प्रदेश) – बाया पैर
ब्रह्मेश्वर (जलंधर) – दाहिना हाथ
कालिकाट (कोलकाता) – बाया अंगूठा
शारदा पीठ (पाकिस्तान) – दाहिना हथेली
श्रीसैलम (आंध्र प्रदेश) – बाया जांघ
महाकाली (कोलकाता) – दाहिना कंधा
चामुंडेश्वरी (मैसूर) – बाया स्तन
चिंतपूर्णी (हिमाचल प्रदेश) – दाहिना घुटना
गुप्तकाशी (उत्तराखंड) – बाया आंख
दक्षिणेश्वर (कोलकाता) – दाहिना अंगूठा
माँ शक्ति पीठ (चंडीगढ़) – बाया हाथ
पाटन (गुजरात) – बाया पैर
चंद्रचूड (बिहार) – गला (गर्दन)
सप्तश्रृंगी (महाराष्ट्र) – नाक
माँ रत्नेश्वरी (राजस्थान) – बाया पैर
बोधगया (बिहार) – बाल
अंबाजी (गुजरात) – बाया हाथ
जयंती पीठ (मध्य प्रदेश) – दाहिना अंगूठा
बागेश्वर (उत्तराखंड) – बाया स्तन
पशुपतिनाथ (नेपाल) – बाया कान
सिंहादेवी (कोलकाता) – दाहिना गाल
कामाख्या (असम) – yoni (योनि)
नर्मदा (गुजरात) – मुख (मुंह)
सिद्धेश्वरी (दिल्ली) – हृदय (दिल)
माँ मंसा देवी (हरिद्वार) – बाया अंगूठा
नंदिनी (नागालैंड) – बाया आंख
शक्तिपीठ सिद्धेश्वरी (वाराणसी) – बाया हाथ
चामुंडेश्वरी (मैसूर) – बाया स्तन
महेश्वरी (जम्मू) – बाया घुटना
बगलामुखी (उत्तराखंड) – दाहिना पैर
पंचाक्षरी (उत्तराखंड) – दाहिना हाथ
भैरव पीठ (पुरी) – दाहिना गाल
कल्पवृक्ष (छत्तीसगढ़) – बाया घुटना
अष्टभुजा पीठ (ओडिशा) – गला (गर्दन)
शुभमंत्र (कश्मीर) – मुख (मुंह)
हस्तशक्ति (बिहार) – दाहिना पैर
स्वर्णमुखी (कर्नाटका) – बाया कान
माधवी पीठ (उत्तर प्रदेश) – बाया गाल
पूर्णशक्ति पीठ (उत्तराखंड) – दाहिना जांघ
शक्ति मंदिर (महाराष्ट्र) – गला (गर्दन)
महामाया (मध्य प्रदेश) – बाया हाथ
भगवती पीठ (उत्तराखंड) – दाहिना कान
माँ दुर्गा (हिमाचल प्रदेश) – हृदय (दिल)
मेघालय (असम) – बाया आंख
यह सूची प्रत्येक शक्ति पीठ के स्थान और देवी सती के शरीर के अंगों से संबंधित है, जो हिंदू धर्म के अनुसार महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल माने जाते हैं। इन शक्ति पीठों की यात्रा करने से भक्तों को विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
51 शक्ति पीठों के महत्व:
आध्यात्मिक दृष्टिकोण: शक्ति पीठों का महत्व देवी सती की शक्ति और श्रद्धा से जुड़ा है। यहां पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और मुक्ति मिलती है।
धार्मिक यात्रा: श्रद्धालु इन शक्ति पीठों को तीर्थ यात्रा के रूप में भी मानते हैं। यह यात्रा आत्मा के शुद्धिकरण के लिए की जाती है।
कृपा का वरदान: इन शक्ति पीठों पर देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है, जो भक्तों को जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाती है और उन्हें सुख, शांति एवं समृद्धि का वरदान देती है।
यह शक्ति पीठ न केवल हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक इतिहास का अभिन्न हिस्सा भी हैं। इन पीठों की यात्रा करने से भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास को और मजबूत करते हैं और माता के आशीर्वाद से जीवन को संपूर्ण रूप से सुखमय बना सकते हैं।