तियानजिन (चीन)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा कि आतंक पर दोहरा मापदंड किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को मानवता के लिए सीधी चुनौती बताया और कहा कि इससे निपटना हर राष्ट्र का कर्तव्य है।
हालांकि, सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को गहरा करना था, लेकिन दुनिया की नजरें उन तस्वीरों और वीडियो पर टिक गईं, जिनमें प्रधानमंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गर्मजोशी से बातचीत करते और हाथ मिलाते हुए देखा गया। तीनों नेताओं की यह दोस्ताना बॉन्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा:"हमें एक स्वर में कहना होगा कि आतंकवाद पर दोहरा मापदंड अस्वीकार्य है। हमें हर रूप में आतंकवाद का विरोध करना चाहिए। यह मानवता के प्रति हमारा दायित्व है।"
उन्होंने पाकिस्तान और उसके समर्थकों की ओर इशारा करते हुए पूछा:"क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुलेआम समर्थन देना स्वीकार्य हो सकता है?"
मोदी ने यह भी कहा कि भारत दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है और हाल ही में पहलगाम में जो हमला हुआ, वह न केवल भारत की आत्मा पर चोट है बल्कि उन सभी के लिए चुनौती है जो मानवता में विश्वास रखते हैं।
प्रधानमंत्री ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भी अप्रत्यक्ष टिप्पणी की और कहा:"जो कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान नहीं करते, वे विश्वास और महत्व दोनों खो देते हैं।"
भारत बीआरआई का विरोध करता रहा है क्योंकि इसकी एक परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ के नाम को एक नए दृष्टिकोण से परिभाषित किया:
एस – सुरक्षा (Security)
सी – संपर्क (Connectivity)
ओ – अवसर (Opportunity)
उन्होंने कहा,"सुरक्षा, शांति और स्थिरता विकास की नींव हैं, लेकिन आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद इन सबके सामने सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।"
मोदी ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था, जिसमें पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिन तक तनावपूर्ण झड़पें हुईं, जो 10 मई को समाप्त हुईं।
उन्होंने कहा कि भारत को इस हमले के बाद कई मित्र देशों से समर्थन मिला, जिसके लिए उन्होंने आभार व्यक्त किया।
मोदी ने एससीओ के तहत एक "सभ्यता संवाद मंच" की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा, जिससे सदियों पुरानी सभ्यताओं, कलाओं और परंपराओं को साझा किया जा सके।
उन्होंने 'ग्लोबल साउथ' (अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका के विकासशील देश) के लिए विशेष ध्यान देने की बात करते हुए कहा:"इन देशों की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में कैद रखना भविष्य की पीढ़ियों के साथ अन्याय है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत "रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म" के मंत्र के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने एससीओ देशों को भारत की विकास यात्रा में साझेदारी के लिए आमंत्रित किया।
"हमने हर वैश्विक चुनौती को अवसर में बदला है — चाहे वह कोविड महामारी हो या वैश्विक आर्थिक संकट।"
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में एक नई वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था की बात की, जिसमें ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। उन्होंने अमेरिका की व्यापार नीतियों की ओर परोक्ष संकेत भी दिया।
वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि एससीओ अब यूरेशिया में स्थिरता और शांति के लिए एक नई विश्व व्यवस्था की नींव रख रहा है। उन्होंने कहा:
"एससीओ समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट करता है, जो बहुध्रुवीय, न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की ओर अग्रसर हैं।"