मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की गहरी चिंता

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 29-09-2025
Sayyid Saadatullah Husseini, the president of Jamaat-e-Islami Hind, expressed deep concern over the arrest of Maulana Tauqeer Raza.
Sayyid Saadatullah Husseini, the president of Jamaat-e-Islami Hind, expressed deep concern over the arrest of Maulana Tauqeer Raza.

 

नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सयैद सआदतुल्लाह हुसैनी ने बरेली में इस्लामिक विद्वान मौलाना तौकीर रजा खान सहित कई लोगों की गिरफ्तारी को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने इस घटना को देश में बढ़ती सांप्रदायिक राजनीति और नफरत पर आधारित शासन व्यवस्था की एक चिंताजनक मिसाल बताया है।

मीडिया को जारी अपने बयान में हुसैनी साहब ने कहा, "‘I Love Muhammad’ जैसे श्रद्धा और प्रेम से भरे एक साधारण नारे को सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बताकर जिस तरह से एफआईआर दर्ज की गई और सामूहिक गिरफ्तारियां की गईं, वह निंदनीय है। यह न केवल अनुचित है, बल्कि हमारे देश के बहुलतावादी और सम्मानजनक सांस्कृतिक मूल्यों पर सीधा प्रहार है। भारत की साझा विरासत रही है कि लोग एक-दूसरे के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करते आए हैं। ऐसी शांतिपूर्ण आस्था की अभिव्यक्ति को अपराध बताना न केवल गलत है बल्कि दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है।”

उन्होंने आगे कहा, “मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना तौकीर रजा को पहले नजरबंद किया गया और फिर बिना समुचित जांच के उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई। उनके साथ सैकड़ों अन्य मुस्लिमों को भी इसी तरह निशाना बनाया गया। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कुछ राजनीतिक नेताओं ने मौलाना तौकीर रजा जैसे प्रतिष्ठित विद्वान के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया, जो इस पूरे घटनाक्रम की पीछे की साजिश और नफरत भरी राजनीति को उजागर करता है।”

हुसैनी ने स्पष्ट किया, “भारत ने हमेशा विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों की लोकतांत्रिक परंपरा को स्थान दिया है। किसी भी तरह की हिंसा, जैसे पथराव या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, की निंदा होनी चाहिए, लेकिन बिना निष्पक्ष जांच के किसी भी समूह या व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगाना न्यायसंगत नहीं है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे निष्पक्ष और संतुलित तरीके से कार्य करें। किसी एक समुदाय को निशाना बनाना संविधान की आत्मा के खिलाफ है।”

उन्होंने यह भी कहा, “इस समय जो हो रहा है, वह राज्य की मशीनरी और कानून व्यवस्था का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग है। कानून-व्यवस्था की सामान्य चुनौतियों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अवसरों में बदला जा रहा है। हर बार जब चुनाव नजदीक आते हैं, ऐसी ही घटनाएं सामने आती हैं — समाज में विभाजन पैदा किया जाता है, अविश्वास को बढ़ावा दिया जाता है, और देश की सामाजिक एकता को राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुर्बान कर दिया जाता है। यह लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए बेहद घातक है।”

अंत में, सयैद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मुस्लिम समुदाय से संयम बरतने और पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) की शिक्षा—धैर्य, करुणा और शांति—का पालन करने की अपील की। साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि,“बिना आधार के लगाए गए सभी आरोपों को तत्काल वापस लिया जाए, गलत तरीके से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा किया जाए, और शासन में निष्पक्षता, न्याय और समानता को बहाल किया जाए। भारत की असली ताकत उसके संविधान, बहुलता और आपसी सम्मान की संस्कृति में है। इन मूल्यों को नुकसान पहुँचाना सिर्फ किसी एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।”