नयी दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर 2026 में सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने अपने "सनातन धर्म का उन्मूलन करें" वाले बयान को लेकर दर्ज सभी एफआईआर और शिकायतों को एक जगह स्थानांतरित करने और क्लबbing करने की मांग की है।
यह याचिका न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश हुई थी।स्टालिन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पेश होकर बताया कि उनके खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर और शिकायतें दर्ज हुई हैं।
उन्होंने कहा, “इस अदालत ने अतीत में कई मामलों में दो मुख्य काम किए हैं।”इस पर जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की, “इस अदालत ने अतीत में बहुत कुछ किया है, इसका मतलब यह नहीं कि हमें भी हर बार वही करना चाहिए।”
जब रोहतगी ने आग्रह किया कि इस मामले को 2026 में सूचीबद्ध किया जाए, तो पीठ ने सहमति दे दी।गौरतलब है कि 6 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि स्टालिन के विवादित बयान को लेकर उसकी अनुमति के बिना कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं की जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि एक ही मुद्दे पर कई शिकायतें दर्ज नहीं की जा सकतीं और स्टालिन को व्यक्तिगत रूप से अदालतों में पेश होने से छूट देने वाला अंतरिम आदेश भी बढ़ा दिया था।
याचिका में मांग की गई थी कि सभी एफआईआर और शिकायतों को एक ही स्थान – तमिलनाडु – में स्थानांतरित किया जाए, जहां यह कथित बयान दिया गया था।
स्टालिन के वकील ने कोर्ट को बताया कि पटना, जम्मू, बेंगलुरु और महाराष्ट्र सहित कई जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर और नूपुर शर्मा के मामलों में दिए गए आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि एक ही घटना से संबंधित मामलों को देशभर में अलग-अलग स्थानों पर चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सितंबर 2023 में एक सम्मेलन के दौरान, स्टालिन ने कथित तौर पर कहा था कि "सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है, और इसे कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों की तरह 'नष्ट' कर देना चाहिए।"