सहजुद्दीन खान ने प्रभु जगन्नाथ रथ निर्माण को दिए 65 पेड़, बोले महाप्रभु जगन्नाथ पर हमारा भी हक़

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-05-2022
सहजुद्दीन खान ने प्रभु जगन्नाथ रथ निर्माण को दिए 65 पेड़, बोले महाप्रभु जगन्नाथ पर हमारा भी हक़
सहजुद्दीन खान ने प्रभु जगन्नाथ रथ निर्माण को दिए 65 पेड़, बोले महाप्रभु जगन्नाथ पर हमारा भी हक़

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-भुवनेश्वर

देश में कुछ लोग हैं, जो हिंदू और मुसलमान को अलग-अलग चश्मे से देखते हैं. मगर, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.... इसकी ठोस वजह है हमारी सांझी विरासत, रली-मिली संस्कृति और गंगा-जमुनी तहजीब. और यहां तक किहिंदू और मुसलमानों का कुर्सीनामा, वंशवृक्ष भी एक हैं और दोनों रक्तसंबंधी भी हैं. नफरत की आग में खुदगर्जी की रोटियां सेंकने वालों के लिए करारा जवाब उड़ीसा के सहजुद्दीन खान की पहलकदमी से आया है. उन्होंने महाप्रभु जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा के निमित्त सेमल के 65 वृक्ष दान में दिए हैं.

सहजुद्दीन खान का जज्बा तो देखिए, वो कहते हैं, ‘‘मैं देश का एक मुसलमान हूं, लेकिन वह मेरी पूरी पहचान नहीं है. भारतीयता ही मेरी पहचान है. और चूंकि मेरा जन्म ओडिशा में हुआ है, इसलिए हमारा भी महाप्रभु जगन्नाथ परअधिकार है. यह मिट्टी उनकी है. तो सिर्फ पेड़ ही नहीं, जरूरतप ड़ने पर हम अपने सीने का खून भी देने को तैयार हैं.’’

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/165390321705_Sahajuddin_Khan_gave_65_trees_for_the_construction_of_Lord_Jagannath's_chariot,_said_Mahaprabhu_Jagannath,_we_also_have_the_right_2.jpg

एक जगन्नाथ भक्त सहजुद्दीन की यह बात सुनकर हर रोंगटा खड़ा हो जाता है. अल्लाह-ईश्वर एक है, इस कथन को जीने वाले सहजुद्दीन की भक्ति के आगे मजहबों के सारे फलसफे बौने और फीके पड़ जाते हैं. सहजुद्दीन खान ‘एको अहं द्वितीयो नास्ति’यानि ईश्वर एक ही है और दूसरा कोई नहीं, के सिद्धांत की पालना कर रहे हैं.

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है, जो इस वर्ष एक जुलाई से शुरू होगी. यह यात्रा पौराणिक है और हजारों वर्षों से निर्बाध चली आ रही है. इसके लिए महाप्रभु का रथ बहुत मनोयोग से निर्मित किया जाता है और नाना प्रकार की प्राचीन और पारंपरिक तकनीक से उसकी सज्जा की जाती है. पहले भगवान बलभद्र का तालध्वजा रथ, फिरदेवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और तीसरे नंबर पर महाप्रभु का गरूड़ध्वज रथ यात्रा करता है. इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया के दिन से प्रारंभ होता है. रथ के निर्माण में विभिन्न, परंतु निश्चित वृक्ष की लकड़ी का ही प्रयोग होता है. इसके निर्माण में किसी कील या धातु का प्रयोग नहीं होता है. 

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रथ के निर्माण के लिए दानी सज्जन लकड़ी दान करके स्वयं को बड़भागी समझते हैं. इस बार रथ निर्माण के लिए कमी महसूस की जा रही थी. जब यह खबर खोरधा जिले के निराकरपुर के सहजुद्दीन तक पहुंची, तो वे आगे आए और उन्होंने रथ निर्माण के लिए सेमल के 65 वृक्ष दान किए हैं.

‘तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा’ के सूत्र को आत्मसात किए सहजुद्दीन ने मीडिया से कहा, ‘‘हम महाप्रभु जगन्नाथ के लोग हैं. हमारे पास जो कुछ भी है, वह भगवान जगन्नाथ का है. हमारा उनसे नाता कैसे टूट सकता है?’’