आवाज द वाॅयस ब्यूरो/ नई दिल्ली
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साल 2025 के अंत में भारत का दौरा कर सकते हैं. रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने अपने मॉस्को दौरे के दौरान दी. पहले बताया गया था कि यह यात्रा अगस्त के अंत में होगी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि दौरा साल के अंतिम महीनों में होगा.
भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन रिपोर्ट ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्तों को लेकर चर्चाओं को तेज़ कर दिया है—खासकर उस वक्त, जब अमेरिका भारत पर रूसी तेल के आयात को लेकर दबाव बढ़ा रहा है.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नया कार्यकारी आदेश जारी करते हुए भारत से आने वाले सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल अमेरिकी शुल्क 50% तक पहुंच गया है. व्हाइट हाउस ने इसका कारण भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद को बताया है, चाहे वो प्रत्यक्ष हो या किसी तीसरे देश के माध्यम से हो. यह कदम अमेरिका की विदेश नीति और सुरक्षा हितों के खिलाफ माना जा रहा है.
इस टैरिफ युद्ध के चलते दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है और एक संभावित व्यापार युद्ध की आशंका गहरा गई है. आदेश के लागू होने में 21 दिन का वक्त है, यानी भारत और रूस के पास बातचीत और समाधान के लिए एक सीमित खिड़की खुली है.
इसी बीच भारत की सरकारी तेल कंपनियाँ पहले ही रूसी तेल की खरीद घटा रही हैं, जो इस बात का संकेत है कि भारत दबाव को नजरअंदाज़ नहीं कर रहा. हालांकि भारत ने अब तक ऊर्जा सुरक्षा को अपना संप्रभु अधिकार बताते हुए अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है.
अगर पुतिन की यह यात्रा तय समय पर होती है, तो यह भारत की विदेश नीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है. ट्रंप के टैरिफ और अमेरिकी दबाव के बीच, पुतिन की भारत यात्रा भारत-रूस साझेदारी की मजबूती का स्पष्ट संकेत बन सकती है, जबकि भारत अमेरिका के साथ भी रिश्तों को संतुलन में रखने की रणनीति पर कायम रह सकता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दौरा न केवल दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और व्यापार सहयोग को और आगे ले जाने का अवसर बनेगा, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और बहुध्रुवीय दुनिया में उसकी कूटनीतिक सूझबूझ को भी रेखांकित करेगा.