पीएपआई पर प्रतिबंधः क्या है अधिसूचना में ?

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-09-2022
PFI पर प्रतिबंधः भरोसे पर फिर खरे उतरे एनएसए डोभाल
PFI पर प्रतिबंधः भरोसे पर फिर खरे उतरे एनएसए डोभाल

 

मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली

 
बुधवार की सुबह केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), उसके सहयोगियों और सहयोगियों को एक गैरकानूनी संघ के रूप में तत्काल प्रभाव से पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंधित लगाने का ऐलान कर दिया.
 
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार देर रात जारी एक अधिसूचना के माध्यम से घोषणा की, जिसमें पीएफआई और उसके सहयोगियों या सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संघ के रूप में घोषित किया गया.
 
पीएफआई के साथ रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ) सहित इसके मोर्चों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी गैर कनूनी एसोसिएशन बताया गया है.
 
अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पीएफआई और उसके सहयोगियों या सहयोगियों या मोर्चों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं और सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं.
 
आरोप लगाया गया है कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ संबंध हैं, जो दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं.
 
वैश्विक आतंकवादी समूहों इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के साथ  अंतरराष्ट्रीय संबंधों के कई उदाहरण हैं.  इसको लेकर देश में असुरक्षा की भावना पैदा होने लगी थी.
 
पीएफआई कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल है और देश के संवैधानिक अधिकार के प्रति सरासर अनादर दिखाता है और बाहर से धन और वैचारिक समर्थन के साथ यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है. 
 
अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई सदस्यों के माध्यम से धन एकत्र करता है और इसके कुछ सदस्य कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य भी है. पीएफआई और उसके सहयोगियों पर यह भी आरोप है कि पीएफआई अपनी क्षमता को मजबूत करने के लिए अपने सहयोगियों या मोर्चों की सामूहिक पहुंच और धन जुटाने की क्षमता का उपयोग करता है.
 
पीएफआई और उसके सहयोगियों पर खुले तौर पर सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में संचालन करने का आरोप लगाया गया है.
 
हालांकि इन तमाम आरोपों को कोर्ट में भी सिद्ध किया जाना है.