'गांधी सियासत और सांप्रदायिकता ' किताब का विमोचन, अफ़ज़ल वानी बोले, महात्मा गांधी धर्मनिरपेक्षता के नींव थे

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] • 6 Months ago
“गांधी सियासत और सांप्रदायिकता” किताब का विमोचन, अफ़ज़ल वानी बोले, महात्मा गांधी धर्मनिरपेक्षता के नींव थे
“गांधी सियासत और सांप्रदायिकता” किताब का विमोचन, अफ़ज़ल वानी बोले, महात्मा गांधी धर्मनिरपेक्षता के नींव थे

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
 
 महात्मा गांधी धर्मनिरपेक्षता की नींव थे, उन्होंने बार-बार कहा कि हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही देश के हैं, मुसलमान अपने धर्म का पालन करेंगे और हिंदू अपने धर्म का पालन करेंगे, वे धर्म के खिलाफ नहीं बोलेंगे और उन्होंने इसे व्यावहारिक रूप से साबित कर दिया.

उक्ते बातें दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज की तरफ से आयोजित “गांधी सियासत और सांप्रदायिक्ता” किताब के विमोचन के मौके पर आईओएस वाइस चेयरमैन प्रोफेसर अफजल वानी ने अध्यक्षीय भाषण में कही.
 
वहीं महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा कि गांधी की विचारधारा पर चलने से ही यह देश मजबूत, शक्तिशाली और शांतिपूर्ण बना रहेगा. देश में जो हालात हैं, या किसी जगह शांति बनाने की जरुरत पेश हो तो ऐसे में उनके विचारों को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. 
 
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील डॉ अनिल नौरिया ने महात्मा गांधी अफ्रिका दौरे के हवाले से कहा कि महात्मा गांधी सिर्फ भारतीयों के हक की लड़ाई नहीं लड़े बल्कि वह 1908 में अफ्रीकियों के लिए भी लड़े हैं.
 
लेखक,कवि और इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय ने देश की मौजूदा हालात और बहुसंख्यक पर जोर देते हुए कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ बहुसंख्यक को आगे बढ़ कर देश में अमन कायम कर सकते हैं. 
 
गांधी जी की गलत तस्वीर पेश की जाती हैं

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि जिस देश में बहुसंख्यक हो, हमेशा उसके जरिये अल्पसंख्यक को दबाने के बाद उनकी मुखालफत होनी चाहिए. जब गांधी जी पर मुस्लिम परस्त होने का आरोप लगाया गया तो उन्होंने कहा कि मैं हिन्दुस्तान में हिन्दू बहुसंख्यक के खिलाफ और पाकिस्तान में मुस्लिम बहुसंख्यक के खिलाफ हूं. ये बातें नई पीढ़ी को नहीं बताई जाती हैं. उन्हें गांधी जी की गलत तस्वीर बना कर पेश की जाती है. 
 
सियासत धर्म को सांप्रदायिकता बना देती है

आवाज द वॉइस से बात करते हुए किताब के लेखक पीयूष बबेल ने कहा “इस किताब को लिखने का मकसद ये है कि हम ये समझेंगे कि धर्म किया है, संप्रदाय किया है, धर्म वह होता है जिसमें हम अपने ईश्वर, खुदा को याद करते हैं और भारत के सभी लोगों के मन में यही है लेकिन सियासत धर्म को सांप्रदायिकता बना देती है.
 
सांप्रदायिक शख्स दूसरे के धर्म में हस्तक्षेप करना, दूसरे धर्म के लोगों को परेशान करना ये उनका मूल मकसद होता है. गांधी जी ने इस बात को हमेशा कहा है कि मैं धार्मिक आदमी हूं. इस किताब में आपको मिलेगी के उनका आध्यात्मिक मानस कैसे बनता है.
 
उनके तअल्लुक से जो झूठ फैलाई जाती है उसकी सच्चाई किया है और खास तौर से भारत का विभाजन हुआ है उसे लेकर लोगों में ये गलतफहमी है कि इसके लिए महात्मा गांधी जिम्मेदार है.”
 
किताब झूठ की परतें खोलेगी

उन्होंने भारत के बंटवारे पर लोगों के बीच फैलाई जा रही चीजों पर कहा “इस किताब को पढ़ कर आसानी से समझा जा सकता है कि कौन जिम्मेदार है और कौन नहीं है, सावरकर की क्या भूमिका है, मोहम्मद अली जिन्ना की क्या भूमिका है.
 
इस किताब में संविधान निर्माता अम्बेडकर के विचार मिलेंगे. बहुत सी परतें जो झूठ के ऊपर डाल दी गई हैं ये किताब उनसे पर्दा उठाने की कोशिश करती है और जो नई पीढ़ी ये समझेगी के उनके अंदर जो एक धर्म के प्रति जहर उगला जा रहा है उसको कैसे हटाया जा सकता है और बुनियादी तौर पर हम भाई भाई हैं'.
 
इससे पहले प्रोग्राम की शुरुआत कुरान पाक की आयत से की गई. इस अवसर पर आई ओ एस के सेक्रेटरी जेनरल प्रो. जेड एम खान, प्रो. अख्तर अल वासी, प्रो. इशाक अहमद, मौलाना अब्दुल हमीद नौमानी, प्रो. इश्तियाक आलम आदि शामिल हैं.