ISRO की स्थापना के पीछे Real Hero Vikram Sarabhai

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 12-08-2023
ISRO की स्थापना के पीछे Real Hero Vikram Sarabhai
ISRO की स्थापना के पीछे Real Hero Vikram Sarabhai

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

अंतरिक्ष के संसाधनों से मनुष्य व समाज की वास्तविक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है ऐसा मानना था भारत में आधुनिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डॉ. विक्रम ए. साराभाई का. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्‍व करने के लिए देश के सक्षम व उत्‍कृष्‍ट वैज्ञानिकों, मानवविज्ञानियों, समाजविज्ञानियों और विचारकों के एक दल का गठन किया था.
 
पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) के नाम से जाना जाता था, जिसे डॉ. विक्रम ए. साराभाई की दूरदर्शिता पर 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था. बता दें,  रूसी स्पुतनिक के लॉन्च के बाद उन्होंने इसरो की स्थापना के बारे में सोचा था.
 
ये इतना आसान नहीं था, इसके लिए पहले विक्रम साराभाई को सरकार को मनाना पड़ा साथ ही समझाना पड़ा की भारत के लिए इसरो की स्थापना कितनी जरूरी है. डॉ. साराभाई ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए सरकार को समझाया था. जिसके बाद 15 अगस्त 1969 में इसरो की स्थापना हुई. 
 
आपको बता दें, इसरो और पीआरएल के अलावा, उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की. 'परमाणु ऊर्जा आयोग' के अध्यक्ष पद पर भी विक्रम साराभाई रह चुके थे. उन्होंने अहमदाबाद में स्थित अन्य उद्योगपतियों के साथ मिल कर 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट', अहमदाबाद की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 
 
उस समय उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी. साराभाई संस्थानों के निर्माता और संवर्धक थे. विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक पीआरएल की सेवा की. 1972 में इसरो को अंतरिक्ष विभाग के तहत लाया गया. 
 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है. इस संगठन में भारत और मानव जाति के लिए बाह्य अंतरिक्ष के लाभों को प्राप्त करने के लिए विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी शामिल हैं. 
 
इसरो का मुख्यालय बेंगलूरु में स्थित है. अपनी तकनीकी प्रगति के साथ, इसरो देश में विज्ञान और विज्ञान संबंधी शिक्षा में योगदान देता है. अंतरिक्ष विभाग के तत्वावधान में सामान्य प्रकार्य में सुदूर संवेदन, खगोल विज्ञान और तारा भौतिकी, वायुमंडलीय विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए विभिन्न समर्पित अनुसंधान केंद्र और स्वायत्त संस्थान हैं. 
 
इसरो अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.), भारत सरकार का एक प्रमुख घटक है. विभाग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को मुख्य रूप से इसरो के तहत विभिन्न केंद्रों या इकाइयों के माध्यम से निष्पादित करता है.
 
इसरो/अंतरिक्ष विभाग का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इसरो ने संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं, संसाधन मॉनीटरन और प्रबंधन; अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है. इसरो ने उपग्रहों को अपेक्षित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण यान, पी.एस.एल.वी. और जी.एस.एल.वी. विकसित किए हैं.
 
इसरो के स्वयं के चंद्र और अंतरग्रहीय मिशनों के साथ-साथ अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं वैज्ञानिक समुदाय को बहुमूल्य आंकडे प्रदान करने के अलावा विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित और बढ़ावा देते हैं, जो परिणामस्वरूप विज्ञान को बढ़ावा देता है.
 
इसरो की गतिविधियाँ विभिन्न केंद्रों और इकाइयों में फैली हुई हैं. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वी.एस.एस.सी.), तिरुवनंतपुरम में प्रमोचक रॉकेट का निर्माण किया जाता है; यू. आर. राव अंतरिक्ष केंद्र (यू.आर.एस.सी.), बेंगलूरु में उपग्रहों की डिजाइन एवं विकास किया जाता है; सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.), श्रीहरिकोटा में उपग्रहों एवं प्रमोचक रॉकेटों का समेकन तथा प्रमोचन किया जाता है; द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एल.पी.एस.सी.), वलियमाला एवं बेंगलूरु में क्रायोजेनिक चरण के साथ द्रव चरणों का विकास किया जाता है; अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में संचार एवं सुदूर संवेदन उपग्रहों के संवेदकों तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित पहलुओं पर कार्य किया जाता है; राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एन.आर.एस.सी.), हैदराबाद में सुदूर संवेदन आँकड़ों का अभिग्रहण, प्रसंस्करण तथा प्रसारण किया जाता है.
 
इसरो की गतिविधियों का मार्गदर्शन इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जो अं.वि. के सचिव और अंतरिक्ष आयोग - शीर्ष निकाय, जो नीतियों को तैयार करता है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करता है, के अध्यक्ष भी होंगे.
 
इसरो के सामने चुनौतिया:-
 
अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए लॉन्च व्हीकल की उन्नत तकनीक की कमी
 
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तकनीकी दक्षता का अभाव
 
निजी क्षेत्र की सीमित भूमिका 
 
परियोजनाओं का धीमा क्रियान्वयन 
 
सरकार द्वारा पर्याप्त समर्थन नहीं
 
बजट की कमी
 
इसरो के वर्तमान मिशन:-

इसरो सूर्य का अध्ययन करने वाले पहले भारतीय मिशन आदित्य-एल 1 को प्रक्षेपित करने की योजना पर काम कर रहा है. आदित्य-एल 1 सूर्य का नज़दीक से निरीक्षण कर विभिन्न जानकारियाँ जुटाने का प्रयास करेगा.
 
साल 2030 तक भारत द्वारा अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की भी योजना है.
 
इसके साथ ही, साल 2022 में पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ को भेजने की तैयारी जोरों पर है. गगनयान इसरो के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III के ज़रिये लॉन्च किया जाएगा.
 
चंद्रयान-2 से मिली सीख और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर चंद्रयान-3 पर भी काम जारी है.