नई दिल्ली
राज्यसभा में गुरुवार को उस समय हंगामा शुरू हो गया जब उपसभापति हरिवंश ने नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए 30 नोटिस को अस्वीकार कर दिया। इस विरोध के चलते 12:30 बजे सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही की शुरुआत उपसभापति द्वारा आवश्यक दस्तावेजों को पटल पर रखवाने से हुई। उन्होंने बताया कि उन्हें नियत कार्य स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हेतु कई विपक्षी नेताओं के नोटिस प्राप्त हुए थे, जिनमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण, राज्यसभा सभापति के इस्तीफे, केरल में मानव-पशु संघर्ष और साइबर धोखाधड़ी जैसे मुद्दे शामिल थे। परंतु, उन्होंने इन्हें पूर्ववर्ती परंपराओं के अनुरूप अनुपयुक्त मानते हुए अस्वीकार कर दिया।
हालांकि उपसभापति ने विपक्ष से अपील की कि वे पहले छह सेवानिवृत्त सदस्यों को सम्मानपूर्वक विदाई देने की प्रक्रिया पूरी होने दें। इस दौरान सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं, जिनमें सदन के नेता जेपी नड्डा भी शामिल थे, ने सेवानिवृत्त सदस्यों के योगदान की सराहना की।
जिन सदस्यों को विदाई दी गई उनमें एम मोहम्मद अब्दुल्ला, एन चंद्रशेखरन, अन्बुमणि रामदास, एम षणमुगम और एम वाइको शामिल हैं। अन्नाद्रमुक के पी विल्सन का कार्यकाल भी समाप्त हुआ, पर वे पुनः निर्वाचित हो चुके हैं।
जब विदाई भाषण समाप्त हुए और प्रश्नकाल शुरू होने ही वाला था, तभी विपक्षी सदस्यों ने फिर से अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ते देख उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी।
इससे पहले मनोनीत सदस्य उज्ज्वल देवराव निकम ने राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली।