राष्ट्रपति ने कहा: कला केवल सौंदर्य नहीं, संवेदना और विरासत का सशक्त माध्यम है

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-09-2025
President said: Art is not just beauty, it is a powerful medium of empathy and heritage
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नई दिल्ली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को आयोजित ललित कला अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में देश के 20 प्रतिष्ठित कलाकारों को सम्मानित किया और कहा कि कला केवल सौंदर्य की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज को संवेदनशील बनाने और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने का एक सशक्त माध्यम है।

यह कार्यक्रम 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के समापन के अवसर पर हुआ, जिसमें देशभर से चुनी गई 283 उत्कृष्ट कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई थीं। इनमें चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी और इंस्टॉलेशन जैसी विधाओं की झलक देखने को मिली।

राष्ट्रपति ने कहा,"भारतीय परंपरा में कला को साधना माना गया है। कलाकार समाज की आत्मा होते हैं। आपकी कला न केवल सौंदर्य प्रदान करती है, बल्कि संवेदनशील समाज और समृद्ध विरासत की नींव रखती है।"

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कला निरंतर विकसित हो रही है और हमारे कलाकार नए भारत का स्वरूप अपनी रचनाओं के माध्यम से सामने ला रहे हैं।

इस वर्ष पहली बार अकादमी द्वारा कलाकृतियों की बिक्री भी की गई, जिससे कलाकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

राष्ट्रपति ने कहा,"कलाकार अपने कार्य में समय, श्रम और संसाधन लगाते हैं। ऐसे में कलाकृतियों का उचित मूल्यांकन उन्हें प्रेरणा देगा और दूसरों को भी कला क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।"

उन्होंने कला प्रेमियों से आग्रह किया कि वे केवल कला की सराहना न करें, बल्कि इसे अपने घरों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों में स्थान भी दें।संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने बताया कि प्रदर्शनी में 74 कलाकारों की कृतियाँ कुल 1.35 करोड़ रुपये में बिकीं।

संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहा,"कला हमारे इतिहास, भावनाओं और विचारों को जोड़ने वाला माध्यम है। यह हमें एकता के सूत्र में बांधती है और भारत को वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक पहचान प्रदान करती है।"

उन्होंने यह भी कहा कि कलाकृतियों की बिक्री न केवल कलाकारों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है, बल्कि कला को राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम है।

राष्ट्रपति मुर्मु और मंत्री शेखावत दोनों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की आर्थिक ताक़त के साथ उसकी सांस्कृतिक विरासत को भी समान महत्व देना होगा। तभी हम एक समृद्ध, सशक्त और संवेदनशील समाज का निर्माण कर पाएंगे।