आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हैदराबाद में राष्ट्रपति निलयम में ‘भारतीय कला महोत्सव’ के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने भरोसा जताया कि यह आयोजन पश्चिमी भारत की सांस्कृतिक विरासत की समझ को बढ़ावा देगा।
मुर्मू ने कहा कि पिछले साल ‘भारतीय कला महोत्सव’ के पहले संस्करण ने प्रतिभागियों को पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित होने का अवसर प्रदान किया था।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति निलयम (राष्ट्रपति रिट्रीट में से एक) में आयोजित नौ दिवसीय कार्यक्रम में शिरकत करने वाले लोग गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली के हस्तशिल्प, संगीत, नृत्य, साहित्य एवं भोजन से रूबरू हो सकेंगे।
राष्ट्रपति ने कलाकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उनके उत्पाद पीढ़ियों से चली आ रही कौशल परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि जब आगंतुक विभिन्न राज्यों से जुड़ी इन दीर्घाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखेंगे, तो उन्हें पता चलेगा कि भारत की कला और परंपराएं कितनी समृद्ध हैं। देशवासी, खासकर युवा, अपनी सभ्यता और परंपराओं को और बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। भारत सरकार इसके लिए कई कदम उठा रही है।”
उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन और शिमला, हैदराबाद व देहरादून स्थित राष्ट्रपति आवास के दरवाजे आम जनता के लिए खुले हैं।
मुर्मू ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं कि अधिक से अधिक लोग इन जगहों पर आएं और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं इतिहास से रूबरू हों।
उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्रपति भवन को जनता के भवन के रूप में देखती हूं। यह राष्ट्र का भवन है। इसी सोच के साथ, राष्ट्रपति भवन को आम नागरिकों से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।”
मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में इस साल मार्च में ‘विविधता का अमृत महोत्सव’ का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया था, जिसमें दक्षिणी राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों को एक-दूसरे को समझने में मदद मिलेगी।
मुर्मू ने कहा कि ये आयोजन सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान को बढ़ावा देंगे और लोगों को इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करेंगे।
कार्यक्रम में तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा, गोवा और राजस्थान के उनके समकक्ष पी अशोक गजपति राजू और हरिभाऊ बागड़े, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।