लोकतंत्र की ताकत: कभी बंधुआ मजदूर रही आदिवासी महिला बनी सरपंच

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 20-12-2025
Power of democracy: Tribal woman, once a bonded labourer, becomes sarpanch
Power of democracy: Tribal woman, once a bonded labourer, becomes sarpanch

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

 
बंधुआ मजदूर से गांव की सरपंच बनने तक का पुरुसाला लिंगम्मा का सफर लोकतंत्र की ताकत की मिसाल है।

नागरकुरनूल जिले की चेंचू जनजाति की महिला लिंगम्मा हाल में तेलंगाना के ग्राम पंचायत चुनाव में अमरागिरि गांव की सरपंच चुनी गईं।
 
लगभग 40 वर्षीय निरक्षर महिला लिंगम्मा बचपन से लेकर कई दशकों तक जिले के नल्लामाला जंगलों में बंधुआ मजदूरी किया करती थीं और उन्हें कई साल पहले सरकारी अधिकारियों ने बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया था।
 
लिंगम्मा ने शनिवार को बताया कि वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य बंधुआ मजदूर के रूप में मछली पकड़ने जाते थे। उनके माता-पिता भी बंधुआ मजदूरी करते थे।
 
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमें यह भी नहीं पता था कि हम पर कितना कर्ज है। वे हमें जाल देते थे और हमें मछली पकड़ने जाना पड़ता था। उन दिनों हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं हुआ करता था।”