मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर सियासी संग्राम

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 07-12-2022
मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर सियासी संग्राम
मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर सियासी संग्राम

 

भोपाल.

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल भाजपा और विरोधी दल कांग्रेस एक दूसरे को घेरने के लिए तरह-तरह के सियासी मुद्दों पर हाथ आजमा रहे हैं. अब बात लव जिहाद की आई है और दोनों ही दल के नेता ताल ठोक कर एक दूसरे पर हमला करने में जुट गए हैं.

राज्य में बीते कुछ दिनों से लव जिहाद पर चर्चाओं का दौर जारी है मगर अब तो सियासी दल खुलकर एक दूसरे के सामने आने लगे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टंट्या भील के बलिदान दिवस पर आदिवासी वर्ग की जमीन हथियाने के लिए उनकी बेटियों से शादी करने का मामला उठाया और यहां तक कहा कि अब राज्य की धरती पर लव जिहाद का खेल नहीं चलने दिया जाएगा, जरूरत पड़ी तो लव जिहाद को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाएगा.

मुख्यमंत्री चौहान के इस बयान के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का लव जिहाद को फर्जी बताने वाला बयान आया और उन्होंने कहा लव जिहाद न तो कभी था और न कहीं है. देश में किसी को भी, कोई भी धर्म अपनाने की आजादी है, वह किसी धर्म जाति संप्रदाय में शादी कर सकता है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के बयान के बाद भाजपा हमलावर हो गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष का यह बयान दुर्भाग्य जनक है, जब राम मंदिर की बात आई तो कांग्रेस के पेट में दर्द हुआ, जब रामसेतु की बात आई तो उसके अस्तित्व को नकारा, सीए कानून बना तो उसका विरोध किया, धारा 370 भारतमाता के सिर मुकुट से कलंक हटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तो पेट में दर्द हुआ और लव जिहाद के लोगों के खिलाफ जो अपराधी है, जो धर्म छुपाकर बेटियों के साथ अन्याय करते हैं उनके लिए समर्थन करना घोर अपराध हीं नहीं है बल्कि इनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव करीब है और जनता से मुददे बहुत हैं. इन मुददों को कांग्रेस को उठाना चाहिए, मगर वेवजह के मुददों में कांग्रेस फंस जाती है. लव जिहाद के मामले में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है.

यह जनभावना से जुड़ा मुददा है, कांग्रेस के नेता अपने बयानों से भाजपा को हमला करने का मौका तो देते ही हैं साथ में जनता के बीच उनकी छवि अल्पसंख्यक समर्थक भी आसानी से बन जाती है.