नई दिल्ली. प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान और मौलाना मंजूर नोमानी के सबसे बड़े बेटे मौलाना अतीक-उर-रहमान संभली का लंबी बीमारी के बाद आज दिल्ली में निधन हो गया. वह 96 वर्ष के थे. उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां शामिल हैं.
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि दिवंगत मौलाना को कोई विशेष बीमारी नहीं थी, लेकिन वे अपनी उम्र दराजी से प्रभावित थे. मौलाना एक प्रतिष्ठित विद्वान और कई महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक पुस्तकों के लेखक थे. जिसमें एक उत्कृष्ट कृति टिप्पणी और कर्बला की घटना और उसकी पृष्ठभूमि महफिल कुरान के नाम से 5 खंडों में प्रसिद्ध है. वह हजरत मौलाना मंजूर नोमानी के सबसे बड़े बेटे थे.
मौलाना की शिक्षा दारुल उलूम देवबंद में हुई, जहां उन्हें शेख-उल-इस्लाम हजरत मदनी से लाभ हुआ. मौलाना असद मदनी और मौलाना मुहम्मद सलेम कासमी उनके सहपाठी थे. साठ के दशक में अपने छोटे भाई हफीज नोमानी के साथ मिलकर उन्होंने साप्ताहिक नादाये-मिल्लत की शुरुआत की. मौलाना अली मियां और मौलाना नोमानी इसके संरक्षक हुआ करते थे.
इस अवधि के दौरान उन्होंने मुस्लिम सलाहकार परिषद की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई. उनके लेख अपने समय में बहुत विचारोत्तेजक थे. वह स्वतंत्रता के बाद के भारत के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक थे और उनके लेखन को मुसलमानों की समस्याओं के समाधान का मार्गदर्शक माना जाता था.
मौलाना 1976 में खराब स्वास्थ्य के कारण यूके चले गए. जहां उनकी विद्वतापूर्ण सेवाएं और मुसलमानों की समस्याओं में सक्रिय भूमिका जारी रही. मौलाना अपने ईमानदार और सरल जीवन स्तर और कुलीनता में अतीत का एक स्मारक माने जाते थे. वह बीमारी के कारण कई वर्षों से अपने बेटे मौलाना ओबैद-उर-रहमान संभली के साथ दिल्ली में रह रहे थे. आज ईशा से पहले मौलवी हकीकी से मिले.