मुंबई/नई दिल्ली
- फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (एफआईपी) ने सरकार से एअर इंडिया ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटना की न्यायिक जांच का आदेश देने का आग्रह किया है, जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी। संगठन का आरोप है कि मौजूदा जांच को "प्रभावित" किया गया है और इसे तुरंत रोक दिया जाना चाहिए।
एफआईपी की यह मांग एअर इंडिया के पायलटों में से एक, कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्कराज सभरवाल द्वारा केंद्र सरकार से औपचारिक जांच की मांग के एक महीने से भी कम समय बाद आई है। इस मामले की जांच फिलहाल विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की जा रही है।
लगभग 5,500 पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाले एफआईपी ने 22 सितंबर को नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू को लिखे एक पत्र में अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। पत्र में कहा गया है, "एक दोषपूर्ण घरेलू जांच वैश्विक विमानन समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा को खतरे में डालती है।" उन्होंने तर्क दिया कि न्यायिक जांच न केवल न्याय का विषय है, बल्कि मंत्रालय के लिए इन गंभीर प्रक्रियागत खामियों को दूर करने और कानूनी तथा प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम को कम करने के लिए एक आवश्यक तंत्र भी है।"
पत्र में यह भी बताया गया है कि एएआईबी की निजी और प्रशासनिक प्रक्रिया के विपरीत, अदालत शपथ के तहत गवाही देने, समन जारी करने और बोइंग तथा जनरल इलेक्ट्रिक जैसे अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं सहित किसी भी पक्ष से सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की मांग कर सकती है।
इसी बीच, 22 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया। एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत की एक पीठ ने केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को नोटिस जारी कर दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और शीघ्र जांच सुनिश्चित करने के पहलू पर जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि इसमें पीड़ितों के परिवारों की गोपनीयता और सम्मान का तत्व भी शामिल है।