भारत में पेट्रोकेमिकल खपत 6–7 प्रतिशत सालाना बढ़ेगी : केयरएज रिपोर्ट

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-12-2025
Petrochemical consumption in India will grow by 6-7 percent annually: CARE Ratings report
Petrochemical consumption in India will grow by 6-7 percent annually: CARE Ratings report

 

नई दिल्ली।

भारत में पेट्रोकेमिकल उत्पादों की घरेलू खपत मध्यम अवधि में 6–7 प्रतिशत प्रति वर्ष की मजबूत दर से बढ़ती रहेगी। आर्थिक विस्तार और डाउनस्ट्रीम उद्योगों से स्थिर मांग के चलते यह रुझान बना रहेगा। यह आकलन CareEdge Ratings की ताज़ा रिपोर्ट में किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, खपत में लगातार तेज़ी के कारण पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के लिए आयात पर निर्भरता कम करना एक रणनीतिक प्राथमिकता बन गया है। इसी के तहत सार्वजनिक और निजी—दोनों क्षेत्रों की कंपनियों ने प्रमुख पेट्रोकेमिकल सेगमेंट्स में आक्रामक क्षमता विस्तार योजनाओं की घोषणा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि और डाउनस्ट्रीम उत्पादों की मांग इस क्षेत्र को लगातार सहारा देती रहेगी।

पॉलीप्रोपाइलीन में बड़ा विस्तार

केयरएज रेटिंग्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 से 2030 के बीच पॉलीप्रोपाइलीन (PP) की घरेलू क्षमता में 1.8 गुना वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि इसी अवधि में मांग के 1.4 गुना बढ़ने का अनुमान है। इस असमानता का सीधा लाभ यह होगा कि भारत की पीपी आयात निर्भरता में तेज़ गिरावट आएगी और FY30 तक आयात लगभग समाप्त हो सकता है।

लागत प्रतिस्पर्धा रहेगी निर्णायक

हालांकि रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि केवल क्षमता बढ़ाना पर्याप्त नहीं होगा। घरेलू उत्पादकों के लिए लागत प्रतिस्पर्धा सबसे अहम कारक बनी रहेगी। बड़े पूंजी निवेश पर संतोषजनक रिटर्न तभी संभव है जब परिचालन दक्षता बेहतर हो, वैश्विक बाज़ार अनुकूल हों और मूल्य निर्धारण में संतुलन बना रहे।

वैश्विक ओवरसप्लाई का दबाव

निकट भविष्य में पेट्रोकेमिकल कीमतों और मार्जिन पर दबाव बना रह सकता है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति अधिक है। हाल के वर्षों में दुनिया भर में—खासकर चीन में—बड़े पैमाने पर क्षमता जोड़ी गई, जबकि मांग उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ी। इस मांग–आपूर्ति असंतुलन के कारण FY25 तक के तीन वर्षों में भारतीय निर्माताओं की परिचालन लाभप्रदता पर असर पड़ा। सस्ते चीनी आयात से प्रतिस्पर्धा और बढ़ी, जिससे मार्जिन दबाव में रहे।

FY26 में आंशिक सुधार

रिपोर्ट के अनुसार, H1FY26 में लाभप्रदता में मामूली सुधार देखने को मिला, जिसका प्रमुख कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से इनपुट लागत कम होना रहा।

खपत तेज़, क्षमता पीछे

भारत में प्रमुख पेट्रोकेमिकल्स—जैसे PP, HDPE, LDPE, LLDPE, PVC, साथ ही एरोमैटिक्स और इलास्टोमर्स—की खपत बीते कुछ वर्षों में अच्छी रही है। लेकिन घरेलू क्षमता में अपेक्षाकृत कम वृद्धि के कारण आयात निर्भरता बढ़ी। इस अंतर को पाटने के लिए अब घरेलू कंपनियां बड़े विस्तार की ओर बढ़ रही हैं।