Parliament: ऑपरेशन सिंदूर पर राजनाथ सिंह का धुआंधार भाषण, बोले 'अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है'

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 29-07-2025
Parliament Monsoon Session Rajnath Singh Speech: Rajnath Singh's fiery speech on Operation Sindoor
Parliament Monsoon Session Rajnath Singh Speech: Rajnath Singh's fiery speech on Operation Sindoor

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "पहलगाम हमले के तुरंत बाद, हमारे सशस्त्र बलों ने कार्रवाई की और नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक निशाना साधा, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक और संचालक मारे गए."

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा पार करना या वहां की Territory capture करना इस Operation का उद्देश्य नहीं था. Operation Sindoor शुरू करने का मकसद था, उन terror nurseries को खत्म करना, जिन्हें पाकिस्तान ने बरसों से पाला पोसा हुआ था

ऑपरेशन सिंदूर क्यों शुरू किया गया, इसकी जानकारी पहले भी दी गई है और आज भी मैंने सदन को दी है. अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के कुछ लोग पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे? मुझे लगता है उनका यह प्रश्न, हमारी राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहा है. उन्होंने एक बार भी हमसे यह नही पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए? यदि उन्हें प्रश्न पूछना ही है,तो उनका प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया, तो उसका उत्तर है, हां.

राजनाथ सिंह ने कहा कि 'मैं पूरे देश की तरफ से सेना के जवानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. आज मैं ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े कुछ अहम विषयों को रखने के लिए मैं यहां खड़ा हूं. सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया. यह आतंकवाद के खिलाफ एक प्रभावी और निर्णायक प्रदर्शन था. 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ. इस हमले में हमारे 25 निर्दोष नागरिकों सहित एक नेपाली नागरिक की भी जान गई. उन लोगों की धर्म पूछकर जान ली गई. यह घटना भारत की सहनशक्ति की सीमा की भी परीक्षा थी.'

'पीएम मोदी ने सेनाओं को निर्णायक कार्रवाई की छूट दी. इसके बाद हमारे सैन्य नेतृत्व ने पूरी मैच्योरिटी से जवाब दिया. ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेनाओं ने हर विकल्प का पूरी गहराई से जवाब दिया. हमने उन विकल्पों को चुना, जिससे आतंकियों को नुकसान पहुंचे और आम नागरिकों को कोई नुकसान न होने पाए. हमारी सेनाओं ने 9 आतंकी ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया. इन हमलों में 100 से अधिक आतंकी, उनके हैंडलर, ट्रेनर मारे गए. इन्हीं आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी सेना का खुला समर्थन प्राप्त है.' 

'6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत हुई. इसमें पीओके के मुजफ्फराबाद में सवाई नाला, कोटली में अब्बास कैंप, बहावलपुर, मुरीदके, सरजाल आदि में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इनमें से 7 ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया. पूरा ऑपरेशन सिर्फ 22 मिनट में समाप्त हो गया और हमने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा. सशस्त्र बल अपने सभी उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रहे.'

'जिन मोही मारा, तिन मोही मारा की तर्ज पर आतंकियों को निशाना बनाया गया. 7-8 मई 2025 की रात हमारे सफल ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए भारतीय वायुसेना के ठिकानों पर हमला किया. हालांकि हमारी इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम ने उन हमलों को नाकाम कर दिया. एस-400, आकाश मिसाइलें बेहद प्रभावी साबित हुए. हमारी कार्रवाई आत्मरक्षा में की गई थी, न तो वे उकसावे वाले थी और न ही विस्तारवादी. पाकिस्तान के हमले 10 मई तक जारी रहे. उनके निशाने पर वायुसेना के अड्डे, थलसेना के डिपो, मिलिट्री कैंट थे. ये कहते हुए गौरव की अनुभूति हो रही है कि हमारे एयर डिफेंस ने हमले को पूरी तरह से नाकाम कर दिया और हमारे किसी भी अहम एसेट को कोई नुकसान नहीं हुआ है.'

'अध्यक्ष महोदय, ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं के समन्वय का शानदार उदाहरण था. हमारी सेनाओँ ने पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया. भारतीय नौसेना ने भी उत्तरी सीमा पर अपनी तैनाती मजबूत कर दी. हम समुद्र से लेकर जमीन तक पाकिस्तान पर हमले में सक्षम हैं. ऑपरेशन सिंदूर से यह संदेश देना था कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलेरेंस की नीति रखता है. ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा और सभी उद्देश्य पूरे होने के बाद ही इसे रोका गया. किसी भी दबाव में ऑपरेशन रोकने के दावे पूरी तरह से गलत हैं.'

राजनाथ सिंह ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर अभी सिर्फ रोका गया है और अगर पाकिस्तान की तरफ से फिर कोई दुस्साहस किया गया तो यह ऑपरेशन फिर शुरू होगा. भारतीय सेना और वायुसेना के साथ ही नौसेना की समन्वय कार्रवाई ने पाकिस्तान को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया और भारतीय सेना से अपनी कार्रवाई रोकने की अपील की. हमारे सैनिकों का मनोबल औऱ समर्पण उसका दर्शन 140 करोड़ भारतीयों ने किया. मैंने खुद अपनी आंखों से देखा कि हमारे सैनिकों का मनोबल बुलंदी पर था. वे न केवल भारतीय सीमाओँ की रक्षा कर रहे हैं बल्कि हमारे स्वाभिमान की भी रक्षा कर रहे हैं.'

'कभी भी हमारे प्रतिपक्ष के नेता पूछते रहे हैं कि कितने विमान गिरे, लेकिन उन्होंने एक बार भी हमसे ये नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए. विपक्ष का प्रश्न ये होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकी ठिकानों को तबाह किया तो उसका उत्तर है हां. ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? तो उसका उत्तर है हां. जब हमारे लक्ष्य बड़े हो तो छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं जाना चाहिए. छोटे मुद्दों पर ध्यान देने से बड़े मुद्दों से ध्यान हट सकता है. विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उचित सवाल नहीं पूछ पा रहे हैं तो मैं क्या कह सकता हूं.'

राजनाथ सिंह ने कहा कि 'एक लंबा समय हमने विपक्ष का काम किया तो हमने सरकारों से सवाल पूछे और विपक्ष की भूमिका को सकारात्मक तरीके से निभाया. विपक्ष में रहकर हमने कैसे सवाल पूछे, मैं यहां बताना चाहता हूं. 1962 में जब परिणाम आया तो हमने पूछा कि हमारी धरती पर किसी दूसरे देश का कब्जा कैसे हो गया? हमारे सैनिक बड़ी संख्या में हताहत कैसे हुए? हमने मशीनों की चिंता न करके देश के सैनिकों की चिंता की. जब हमने पाकिस्तान को सबक सिखाया तो उस वक्त हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में न सिर्फ सरकार की बल्कि पूरे नेतृत्व की तारीफ की थी. किसी भी परीक्षा के परिणाम में रिजल्ट मैटर करता है. हमें उस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि पढ़ाई के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई थी या नहीं. आखिर में रिजल्ट मैटर करता है. हमने अपने लक्ष्यों को पूर्ण रूप से प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की.'

राजनाथ सिंह ने कहा कि 'हमारे सभी नेताओँ ने ये चाहा है कि इस इलाके में शांति बनी रहे. पूरा विश्व जानता है कि पूर्व पीएम शांति का संदेश लेकर 1999 में लाहौर बस यात्रा की थी. वह शांति की प्रतीक थी. उन्होंने कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ स्थायी मित्रता चाहता हूं. ये हमारी शांति की पहल थी. ये हमारी हजारों साल पुरानी चेतना से निकली थी, लेकिन हमारे शांति के प्रयासों को हमारी उदारता समझ लिया गया. जब हम दोस्ती की राह पर थे तो वे साजिश रच रहे थे. जब मामला खुला तो हमारे सैनिकों ने करारा जवाब दिया. जब पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी दी तो अटल जी ने कहा कि परमाणु हमले से हमारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन पाकिस्तान कल का सूरज नहीं देख पाएगा.'

'2015 में पीएम मोदी ने लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मुलाकात की तो भारत ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया क्योंकि हम शांति की राह पर चलना चाहते हैं. हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है युद्ध की नहीं. अब ऑपरेशन सिंदूर और ऐसे ही अन्य ऑपरेशन से शांति स्थापित करने का दूसरा रास्ता अपनाया है. अब हमने तय किया है कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते. आतंकवाद की भाषा नफरत है, संवाद की नहीं. गोलियों की आवाज में शांति की बात दब जाती है. पाकिस्तान की नीयत और नीति को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए. पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपनी स्टेट पॉलिसी का आधार बनाया. ऑपरेशन सिंदूर में पूरी दुनिया ने देखा का पाकिस्तान सरकार आतंकियों के लिए राजकीय अंतिम संस्कार दे रही है. मैं लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर कह रहा हूं कि भारत को 1000 घाव देने का सपना देने वालों को नींद से जग जाना चाहिए.' 

'हमारा इतिहास है कि हमने कभी भी किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया. शेर अगर मेंढकों को मारे तो उसका बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता. हमारी सेना शेर है. पाकिस्तान जैसा देश जो आकार, सामर्थ्य, और ताकत में हमारे आसपास भी नहीं है तो उससे कैसा मुकाबला. उससे मुकाबला अपना स्तर कम करने जैसा है. हम अगर शांति की आशा के लिए हाथ बढ़ाना जानते हैं तो अशांति करने वालों के हाथ उखाड़ना भी जानते हैं. दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना पड़ता है. हमने भगवान कृष्ण से सीखा शिशुपाल की 100 गलतियां माफ की जा सकती हैं, लेकिन अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है. हमारी प्रवृत्ति और प्रकृति भगवान राम और कृष्ण से प्रेरित है. आज भारत पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, लेकिन अगर कोई धोखा दे तो उसकी कलाई भी मोड़ना जानता है.'

'ऑपरेशन सिंदूर हमारे सामर्थ्य का ही प्रतीक था जिसमें हमने दिखा दिया कि अगर कोई हमारे नागरिकों को मारेगा, तो भारत चुप नहीं बैठेगा. भारत की आत्मरक्षा के लिए हमारा राजनीतिक तंत्र और नेतृत्व बिना किसी दवाब के काम करेगा. हमारी मिसाइलें सीमाएं लाघेंगी और हमारे वीर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ेगें. आतंकवाद पाकिस्तान की सुनियोजित रणनीति है. हमारा पाकिस्तान के साथ कोई सीमा का संघर्ष नही है बल्कि यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. पाकिस्तान के हुक्मरान जानते हैं, कि उनके सैनिक युद्ध के मैदान में भारत से नहीं जीत सकते. इसलिए वे आतंक को पालते हैं, उसे प्रशिक्षण देते हैं और फिर दुनिया के सामने खुद को निर्दोष दिखाते हैं.  भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पूरी दुनिया को दिखा दिया है, कि हम आतंकवाद के इस गंदे खेल को अब जड़ से खत्म करने का संकल्प ले चुके हैं.'