कोलकाता
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान के तहत राज्यभर में अब तक 1.10 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र वितरित किए जा चुके हैं। निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह आंकड़ा बुधवार रात आठ बजे तक का है।
राज्य में यह एक महीने लंबा अभियान मंगलवार से शुरू हुआ है, जो 4 दिसंबर तक चलेगा। अधिकारी ने कहा,“बुधवार रात तक बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLOs) ने 1.10 करोड़ से अधिक प्रपत्र मतदाताओं तक पहुँचा दिए हैं। इस दौरान कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।”
उन्होंने बताया कि यदि किसी क्षेत्र से किसी बीएलओ के खिलाफ प्रतिरोध या शिकायत की खबर मिलती है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) को तत्काल जांच के आदेश दिए जाते हैं।
इस प्रक्रिया में राज्य के 294 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 80,681 बूथ स्तरीय अधिकारी तैनात किए गए हैं। अब तक लगभग 7.66 करोड़ गणना प्रपत्र तैयार किए जा चुके हैं, जिनकी दो प्रतियाँ प्रत्येक मतदाता को दी जाएँगी।
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बीएलओ दोनों प्रतियों पर हस्ताक्षर करेगा — एक प्रति आयोग के रिकॉर्ड के लिए अपने पास रखेगा, जबकि दूसरी प्रति मुहर लगी पावती के साथ मतदाता को दी जाएगी, ताकि भविष्य में आवश्यक होने पर उसका उपयोग किया जा सके।
अधिकारियों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में यह विशेष पुनरीक्षण 23 वर्षों बाद किया जा रहा है। पिछली बार इस तरह की कवायद साल 2002 में हुई थी।
इस बीच, निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव एस. बी. जोशी और उप सचिव अभिनव अग्रवाल राज्य के कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी जिलों में एसआईआर अभियान की निगरानी के लिए पश्चिम बंगाल पहुंचे हैं।
अधिकारियों ने बताया,“अपने दौरे के दौरान वे बीएलओ और निर्वाचन अधिकारियों (ROs) के कार्यों की समीक्षा करेंगे तथा स्थानीय राजनीतिक नेताओं से भी चर्चा कर सकते हैं। इस दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।”
आयोग के अधिकारी गुरुवार सुबह अलीपुरद्वार का क्षेत्रीय दौरा करेंगे, इसके बाद दोपहर में कूचबिहार पहुँचेंगे। अगले दिन वे जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के कुछ हिस्सों में समीक्षा बैठकें करेंगे और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
इस पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य राज्य में मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाना है, ताकि आगामी चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।