गुवाहाटी (असम) |
पश्चिम कार्बी आंगलोंग ज़िले में हुई हिंसक घटनाओं के बाद असम की विपक्षी पार्टियों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल बुधवार, 31 दिसंबर को राज्यपाल से मुलाकात करेगा और उन्हें एक ज्ञापन सौंपेगा। यह जानकारी असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने दी।
देबब्रत सैकिया ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से शाम 4 बजे मिलने का समय मांगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही है, जिसके कारण खेरोनी इलाके में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। सैकिया ने कहा कि ज्ञापन में मृतकों और घायलों के परिवारों को नियमों के अनुसार मुआवज़ा देने, हिंसा से हुए नुकसान की जांच कराने और प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने की मांग की जाएगी।
इस संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, माकपा, रायजोर दल, एजेपी और सीपीआई (एमएल) के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कांग्रेस की ओर से शिवमणि बोरा, भास्कर बरुआ, दिगंता बर्मन, वाजेद अली चौधरी, नुरुल हुदा, राशिद मंडल, रकीबुद्दीन अहमद और प्रदीप सरकार जैसे विधायक शामिल हैं। इसके अलावा माकपा विधायक मनोरंजन तालुकदार, रायजोर दल के विधायक अखिल गोगोई, वरिष्ठ एजेपी नेता जगदीश भुइयां और अन्य कई नेता भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।
घटनास्थल का दौरा करने के बाद विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि हिंसा के पीछे एक राजनीतिक साज़िश है। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के तहत पहाड़ और मैदान, तथा विभिन्न समुदायों और जनजातियों के बीच विभाजन पैदा करने की नीति अपनाई जा रही है।
मीडिया से बातचीत में प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में छोटी घटनाओं पर भी राष्ट्रपति शासन की मांग करती है, लेकिन असम में गंभीर हिंसा के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद स्थिति संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है।
देबब्रत सैकिया ने यह भी आरोप लगाया कि स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलिराम रोंघांग द्वारा की गई कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कारण ज़िले में अराजक हालात पैदा हुए हैं। उन्होंने मांग की कि पीजीआर-वीजीआर भूमि मुद्दे, रोंघांग के आवास में आगज़नी और उसके बाद बुलडोज़र से किए गए ध्वस्तीकरण की भी निष्पक्ष जांच की जाए।