आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदलकर वीबी जी-रामजी (विकसित भारत–ग्रामीण रोजगार एवं आजीविका मिशन) किए जाने के प्रस्ताव को लेकर गुरुवार को संसद परिसर में सियासी घमासान देखने को मिला। कांग्रेस नेताओं समेत कई विपक्षी सांसदों ने गांधी प्रतिमा से मकर द्वार तक मार्च निकालकर इस फैसले के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान सांसदों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था— “महात्मा गांधी का अपमान नहीं सहेंगे।”
विपक्षी सांसदों ने न सिर्फ नाम परिवर्तन का विरोध किया, बल्कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित अत्याचारों का मुद्दा भी संसद परिसर में उठाया। उनका कहना था कि महात्मा गांधी का नाम हटाना देश की विरासत और मूल्यों के खिलाफ है।
इससे एक दिन पहले लोकसभा में विकसित भारत–जी रामजी (ग्रामीण रोजगार एवं आजीविका मिशन) संशोधन विधेयक पर करीब 14 घंटे तक लंबी बहस हुई। विपक्ष ने इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग की, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसे 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की दिशा में निर्णायक कदम बताया।
कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने सदन में कहा कि यह विधेयक बेहद महत्वपूर्ण है और गहन समीक्षा की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया कि बहस की लंबाई और उसमें दोनों पक्षों के 98 से अधिक सदस्यों की भागीदारी इस बात का संकेत है कि विधेयक को जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस सांसद वामसी कृष्णा गड्डम ने सरकार पर अनावश्यक फैसले लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना दुर्भाग्यपूर्ण है और साथ ही फंडिंग पैटर्न में बदलाव कर राज्यों पर 40 प्रतिशत बोझ डालना भी गलत है।