पुणे
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने सोमवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी के संकेत मिले।
शृंगला ने बताया कि चीन की पाकिस्तान के साथ भागीदारी केवल रक्षा आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें खुफिया और कूटनीतिक समर्थन भी शामिल है। इससे एक ‘सदाबहार’ गठबंधन बना है, जिसका उद्देश्य भारत के सामरिक और रणनीतिक उत्थान को रोकना है।
पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआईसी) द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में शृंगला ने भारत की विदेश नीति और रणनीतिक मामलों पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन भारत के पूर्व राजदूत चीन, गौतम बंबावाले ने किया।
शृंगला ने कहा कि भारत की विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाए रखती है और इसे विकास की अनिवार्यताएँ, रणनीतिक स्वायत्तता और समावेशी वैश्विक दृष्टिकोण निर्देशित करते हैं।
पीआईसी के विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम में चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध, आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति, और रक्षा व कूटनीति में प्रौद्योगिकी, ड्रोन और साइबर उपकरणों की बढ़ती भूमिका पर चर्चा हुई।
उन्होंने यह भी बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल ने चीन-पाक के घनिष्ठ सहयोग की स्पष्ट तस्वीर पेश की।