सेराज अनवर / पटना
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आज बिहार के विभिन्न शहरों के लोगों के विचार यहां रखे जा रहे हैं. इत्तेफाक से इस कड़ी में जिन लोगों से बात हुई, वे कई मामलों में असंतुष्ट दिखे. बहरहाल, आप भी अपने विचार अपनी तस्वीरों के साथ हमें मेल कर सकते हैं. इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा.
युवा पीढ़ी की नुमाइंदगी करने वाले दरभंगा के सीमाब अख्तर कहते हैं, हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. गुलामी से आजादी का जश्न मनाया जाना भी चाहिए. ये भारतीयों के लिए गर्व की बात है,
लेकिन जश्न मनाने से पहले हमने बड़ी त्रासदी झेली.विकास के नाम पर सत्ता में आने वाली पार्टियों ने ऐसे वादे किए जिससे प्रतीत होने लगा कि भारत फिर से सोने की चिड़िया हो जाएगा, लेकिन स्थिति विपरीत निकली. 75 वर्ष में ऐसी नाकामी देख कर तो नहीं लगता है हम देश और भविष्य बहुत जल्दी बेहतर कर सकते हैं.
गया की अधिवक्ता निकिश कुमारी राजनीतिक विज्ञान की पीएचडी छात्र हैं. वह कहती हैं, देशवासी भौचक्के से रह गए उस दिन जब 15 अगस्त 1947 को लाल किला के प्राचीर से पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा ‘‘अब हम आजाद हैं. अपने भाग्य विधाता अब हम स्वयं हैं.
हम अपनी मर्जी के अनुसार, नया भारत बनाएंगे, सजाएंगे, संवारंेगे’’. तब लोगों के मन में यह सुनकर हुक सी उठी कि कौन सा भारत ? किस भारत का निर्माण करेंगे ? यह यक्ष प्रश्न देशवासियों के ललाट पर पढ़ा जा सकता है.
क्या हम वास्तव में आजाद हैं, स्वतंत्र हैं ? क्या हम मूलभूत सुविधाओं से पूर्ण हैं ? 75 वर्षों से रावी और यमुना के तट की तड़पन पर इंग्लैंड की टैम्स नदी आज भी खिलखिलाती है कि मेरे बेटों ने तेरे बेटों को मात दे दी.वह एक व्यापारी के रूप में भारत गए. एक मालिक की तरह तुम्हारे देश को उसके दो दावेदारों के बीच बांटकर चले आए.
गुफरान वाली पटना निवासी हैं.बुद्धिजीवी समाज से आते हैं.वह कहते हैं, जब से भारत आजाद हुआ है, तभी आर्थिक व तकनीकी रूप से देश संपन्नता की ऊंचाइयों तक पहुंचा है.आज पूरे विश्व में भारत आशा की किरण बनकर आकाश में चमक रहा है.
यह सब आजाद भारत में ही संभव हुआ है. हमें ये आजादी आसानी से नहीं मिली. इसके लिए शूरवीरों व आजादी के मतवालों को बलिदान देना पड़ा. हमें उनका सदैव आभार मानना चाहिए.
आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं. वह सब भारत के उन सपूतों की याद दिलाते हैं, जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के नाम कर दिया था. भारत के प्रसिद्ध विद्वानों, कवियों, इतिहासकारों अथवा लेखकों ने भारत का सामाजिक रूप से सुधार करके भारत की आजादी में चार चांद लगाए.
कुछ लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए हमारे पवित्र देश को भ्रष्टाचार की चादर में समेट रहे हैं. देश की भोली भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं. हमें ऐसे भ्रष्ट लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है.
कमला कांत पाण्डेय पटना में रहते हैं.पत्रकारिता के पेशा से जुड़े हैं. वह कहते हैं कि आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर देशवासियों के समक्ष एक तरफ गौरव गाथा है, दूसरी ओर उसके सामने कई मसलों पर कारगर हस्तक्षेप की जरूरत महसूस की जा रही है.
बदलते वक्त के साथ समाज में औरत और मर्द का फासला मिट रहा है. औरतें अपनी क्षमता और हुनर के बेहतर इस्तेमाल से प्रायः हर क्षेत्र में गर्व के साथ कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं. सुकून की बात यह है कि सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर भी उन्हें बराबरी का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है.
इसके बावजूद चिंता की बात यह कि ऐसा आमतौर पर शहरी इलाकों में ही हो और दिख रहा है. बदलाव की इस रोशनी से ज्यादातर ग्रामीण इलाके महरूम हैं.खासकर कमजोर वर्ग की औरतों के साथ व्यवहार अमानवीय होता है. बिहार में हाल-फिलहाल ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है.
पटना के हसरत हुसैन बिजनेसमैन हैं. वह कहते हैं कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी.भारत विश्व की महाशक्ति बनेगा. ऐसी घोषणाएं भारत के राजनेताओं, अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों ने की है.
अनेक विदेशी विद्वानों ने भी भारत के उज्ज्वल भविष्य की भविष्यवाणियां की हैं. क्या यह सपना सच होगा ? क्या वास्तव में हम महाशक्ति, विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग पर बढ़ रहे हैं ? इन प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है.
जाति, संप्रदाय, निजी स्वार्थ आदि को ठुकराकर आपसी सद्भाव स्थापित करना हर नागरिक का कर्तव्य है.सभी भारतीय जन संगठित होकर बुराइयों का विनाश करें और राष्ट्र की उन्नति में सहयोग करें तभी भारत विश्व की महाशक्ति बनेगा.
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है. हमने अपने आपको विश्व का सबसे बड़ा और स्थिर लोकतंत्र साबित किया है.लेकिन सवाल भी हैं.आजादी के 75 साल गुजर चुके हैं. स्वतंत्र भारत के सफर में मुसलमानों ने कई अहम पड़ाव देखे हैं. बावजूद इसके आज भी मुसलमानों के हालात नहीं बदले हैं.