नई दिल्ली
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने गुरुग्राम की नेशनल मीडिया सेंटर को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर हरियाणा राज्य और अन्य संबंधित प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया है। याचिका में सोसाइटी ने 24 हाई-कैपेसिटी डीजल जनरेटर (डीजी) सेट्स के निर्माण, पुनर्स्थापन और प्रस्तावित स्थापना के खिलाफ आपत्ति जताई है। इन सेट्स की कुल क्षमता 67,500 KVA है और इनके साथ एक कूलिंग टावर भी लगाया जाना है, जो सोसाइटी के आवासीय परिसर के निकट स्थापित किया जा रहा है।
सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष) और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने की। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि ये डीजी सेट्स और कूलिंग टावर मौलसरी एवेन्यू रैपिड मेट्रो स्टेशन के पास और सोसाइटी के भीतर प्री-प्राइमरी स्कूल, डे-केयर सेंटर और सामुदायिक सुविधा के बेहद करीब लगाए जा रहे हैं।
सोसाइटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने तर्क दिया कि यह निर्माण कार्य 2019 में जारी पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और बाद में विस्तारित ईसी की शर्तों का उल्लंघन करता है। उन्होंने बताया कि ईसी की शर्तों के अनुसार, डीजी सेट्स की स्थापना का स्थान हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) से परामर्श के बाद ही तय किया जाना था। लेकिन आरटीआई के जवाब के अनुसार, जुलाई 2025 तक ऐसी कोई मंजूरी या स्थान निर्धारण नहीं किया गया, जिससे यह शर्त पूरी तरह नजरअंदाज की गई।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि प्रस्तावित डीजी सेट्स भूमि के पार्ट बी क्षेत्र में लगाए जा रहे हैं, जो मूल ईसी के तहत स्वीकृत 36.36 एकड़ क्षेत्र में नहीं आता। सोसाइटी ने परियोजना मानचित्र पेश कर यह दिखाया कि डीजी सेट्स का प्रस्तावित स्थान स्वीकृत क्षेत्र के बाहर है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने ईसी की शर्त संख्या 18 का उल्लंघन भी इंगित किया। इस शर्त के अनुसार, 220 केवी हाई-टेंशन लाइन के नीचे किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है। सोसाइटी का आरोप है कि परियोजना प्रोपोनेंट इस प्रतिबंध का उल्लंघन कर सीधे निर्माण कार्य कर रहा है।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद कहा कि इस आवेदन में पर्यावरणीय नियमों के पालन से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं। इसलिए, सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है और निर्देश दिया गया है कि वे अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपनी प्रतिक्रिया हलफनामा के रूप में जमा करें।
याचिकाकर्ता सोसाइटी को भी निर्देश दिया गया है कि वे प्रतिवादियों को नोटिस सौंपी जाए और सेवा का हलफनामा उसी समय सीमा में दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।
एनजीटी की यह कार्रवाई पर्यावरण सुरक्षा और आवासीय क्षेत्रों के पास भारी उद्योग और उच्च क्षमता वाले बिजली उपकरणों की स्थापना के नियमों के पालन को लेकर महत्वपूर्ण मिसाल बन सकती है। यह मामला दर्शाता है कि कैसे आवासीय सोसाइटी और पर्यावरणीय एजेंसियां नागरिक सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के हित में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
सोसाइटी के वकील ने यह भी जोर दिया कि यदि ऐसे बड़े डीजी सेट्स आवासीय क्षेत्र के पास स्थापित किए गए, तो इससे ध्वनि, वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं। उनका कहना है कि परियोजना प्रोपोनेंट ने पर्यावरण और सुरक्षा नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।
इस प्रकार एनजीटी ने इस याचिका पर कार्रवाई करते हुए सभी पक्षों से लिखित जवाब मांगा और मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले hearing में विस्तृत चर्चा का आदेश दिया है।