आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मेघालय के दो कोयला डिपो राजाजू गांव और डिएंगगन गांव से अवैध रूप से खनन किया गया लगभग 4,000 मीट्रिक टन (एमटी) कोयला गायब हो गया, जबकि आधिकारिक सर्वेक्षणों के माध्यम से पहले ही इस कोयला भंडार को दर्ज किया जा चुका था. मेघालय उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार और उसकी एजेंसियों से जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने के लिए कहा है.
न्यायमूर्ति एचएस थांगख्यू की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने बृस्पतिवार को मामले की सुनवाई की. पीठ ने मामले में तीखी टिप्पणी करते हुए अधिकारियों से कोयले के गायब होने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या अधिकारियों की पहचान करने को कहा है. कोयला भंडार का पहले ही पता लगा लिया गया और इसे कार्रवाई के लिए चिह्नित किया गया था.
यह खुलासा न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीपी केतकी समिति द्वारा प्रस्तुत 31वीं अंतरिम रिपोर्ट से हुआ है, जो राज्य में कोयला खनन और परिवहन के मुद्दों की निगरानी कर रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मेघालय बेसिन विकास प्राधिकरण (एमबीडीए) ने डिएंगगन में पहले 1,839.03 मीट्रिक टन कोयला दर्ज किया था लेकिन जमीनी सत्यापन के दौरान केवल 2.5 मीट्रिक टन कोयला पाया गया। वहीं, राजाजू में दर्ज 2,121.62 मीट्रिक टन कोयला में से केवल आठ मीट्रिक टन कोयला ही बचा था.
अदालत ने कहा कि इस अवैध कोयले का पता बहुत पहले ही लग गया था, फिर भी ‘‘अज्ञात व्यक्ति’’ कोयले को उठाकर ले जाने में कामयाब रहे, जिससे जमीनी स्तर पर नियमों की अनदेखी को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं.