नई दिल्ली
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) — जो गृह मंत्रालय के अधीन एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था है — ने नशीली दवाओं की तस्करी और साइबर-सक्षम ड्रग अपराधों के खिलाफ अनुसंधान, प्रशिक्षण, तकनीकी विकास और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह समझौता बुधवार को नई दिल्ली में एनसीबी के महानिदेशक अनुराग गर्ग और आरआरयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल के बीच संपन्न हुआ।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस समझौते के तहत एनसीबी और आरआरयू डार्कनेट ड्रग मार्केट्स, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेसिंग और साइबर खतरों की खुफिया जानकारी जैसे उभरते क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और नवाचार करेंगे।
इसके अलावा, दोनों संस्थान साइबर फॉरेंसिक्स, ब्लॉकचेन फॉरेंसिक्स, ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) और व्यवहारिक प्रोफाइलिंग जैसे विषयों पर एनसीबी अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करेंगे और संचालित करेंगे।
एनसीबी और आरआरयू मिलकर "साइबरक्राइम जांच और ड्रग इंटेलिजेंस में उत्कृष्टता केंद्र" (Centre of Excellence in Cybercrime Investigation and Drug Intelligence - CoE-CIDI) की स्थापना के लिए भी काम करेंगे, जो इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार का प्रमुख केंद्र बनेगा।
इस अवसर पर एनसीबी प्रमुख अनुराग गर्ग ने कहा कि यह साझेदारी आरआरयू की अकादमिक विशेषज्ञता और एनसीबी के फील्ड अनुभव को मिलाकर एक ज्ञान-आधारित प्रवर्तन प्रणाली विकसित करने में मदद करेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे दूरदराज के इलाकों में अफीम और भांग की अवैध खेती एक चुनौती बनी हुई है। गर्ग ने आग्रह किया कि आरआरयू इस दिशा में पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों के विकास में सहयोग करे ताकि इस खेती को कुशलतापूर्वक नष्ट किया जा सके। उन्होंने सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते खतरे की ओर भी ध्यान दिलाया और उन्नत पहचान तकनीकों को विकसित करने की जरूरत बताई।
कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान देने के लिए उन्नत अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण के माध्यम से नशीली दवाओं और साइबर अपराधों की जांच के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत है।
यह सहयोग शैक्षणिक विशेषज्ञता और प्रवर्तन अनुभव को जोड़कर, भारत की उन संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म और क्रिप्टोकरेंसी जैसे आधुनिक माध्यमों से जुड़ी नशीली दवाओं की तस्करी का सामना कर सकें।