असम के लिए 'हैंडलूम रोडमैप' तैयार कर रहे हैं नाबार्ड और IIT-रुड़की

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 07-08-2025
NABARD and IIT-Roorkee are preparing a 'Handloom Roadmap' for Assam
NABARD and IIT-Roorkee are preparing a 'Handloom Roadmap' for Assam

 

गुवाहाटी

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने गुरुवार को बताया कि वह असम राज्य के लिए एक समग्र 'हैंडलूम रोडमैप' तैयार कर रहा है, जिसमें IIT-रुड़की सहयोगी संस्थान के रूप में कार्य कर रहा है।

राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में नाबार्ड (असम क्षेत्र) के मुख्य महाप्रबंधक लोकेन दास ने राज्य के हथकरघा क्षेत्र में बैंक की प्रमुख पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि बीते कुछ वर्षों में नाबार्ड द्वारा चलाई गई विभिन्न पहलों से 8,000 से अधिक बुनकरों को लाभ मिला है।

उन्होंने कहा, “IIT-रुड़की के साथ मिलकर नाबार्ड असम के लिए एक विस्तृत हैंडलूम रोडमैप तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य के समृद्ध हथकरघा क्षेत्र के दीर्घकालिक, टिकाऊ और रणनीतिक विकास को दिशा देना है।”

हालांकि, उन्होंने इस दस्तावेज़ को तैयार करने की सम्भावित समय-सीमा साझा नहीं की।

अपनी विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालते हुए दास ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में नाबार्ड ने बुनकरों को कौशल विकास, ग्रामीण उद्यमिता, विपणन अवसंरचना, और बुनकर उत्पादक संगठन (OFPO) के गठन जैसी गतिविधियों के माध्यम से सहायता प्रदान की है। इन पहलों के तहत 5.28 करोड़ रुपये से अधिक की अनुदान राशि दी गई है।

इसके अतिरिक्त, नाबार्ड ने हैंडलूम उत्पादों के लिए जीआई (भौगोलिक संकेतक) पंजीकरण और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए भी सहयोग किया है।

कार्यक्रम में उपस्थित असम के वित्त सचिव दिलीप कुमार बोराह ने नाबार्ड के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने बुनकरों को सशक्त बनाने और हथकरघा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने हैंडलूम जनगणना 2019–20 का हवाला देते हुए बताया कि असम में 12.83 लाख बुनकर हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ हैं, और राज्य में कुल 12.54 लाख हथकरघा मौजूद हैं।

बोराह ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा कच्चे माल की आपूर्ति, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), काज़ीरंगा में एकीकृत हथकरघा पार्क और सुआलकुची में रेशम पर्यटन जैसी पहलों के माध्यम से इस क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।