आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने #HaridwarHateSpeech की घटनाओं की एक श्रृंखला में हुई घोषणाओं पर निराशा व्यक्त की, जो #Hindutv का प्रतिनिधित्व नहीं करती है. इस पर कई मुसलमानों ने अनुकूल प्रतिक्रिया दी है. उधर, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमाते इस्लामी के चीफ सैयद सादातुल्लाह हुसैनी ने इसे स्वागत योग बताया . साथ ही कहा कि यह कोई इकलौती घटना नहीं. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि वे नफरत फैलाने वाले अभियानों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए और अधिक जोरदार और सक्रिय रूप से सामने आएंगे.
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने कहा कि #HaridwarDharmSansad में नफरती भाषणों का बढ़ता चलन देश के लिए चिंताजनक है.सरेशवाला ने कहा, “मैंने संघ के कई लोगों से धर्म संसद ( #HaridwarDharmSansad ) के बारे में बात की है. इससे वे खुद परेशान हैं. संघ के लोगों का कहना है कि यह संघ और हिंदू धर्म की विचारधारा नहीं है. जो लोग इस तरह की बात करते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें हाशिए पर डाल दिया जाएगा.”
संघ में यह भावना रही है कि #HaridwarDharmSansad में घृणास्पद भाषण सामाजिक सद्भाव और देश की अखंडता के लिए हानिकारक हैं.
पिछले हफ्ते, आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने #HaridwarDharmSansad में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित नफरत भरे भाषणों की निंदा की और कहा कि जो लोग भड़काऊ और विभाजनकारी टिप्पणी करते हैं, उन्हें बिना किसी अपवाद के कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए.
पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, इंद्रेश कुमार ने ‘नफरत की राजनीति’ को ‘भ्रष्टाचार’ करार दिया और सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को नफरत फैलाने और समाज के एक वर्ग को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने से परहेज करने का आह्वान किया.
असम में असम मरकजुल उलुम के प्रमुख मोहम्मद हिलालुद्दीन कासिमी ने भागवत के बयान का स्वागत किया.
कासिमी ने कहा, “#MohanBhagwat के बयान ने हिंदू धर्म के सच्चे दर्शन को प्रतिबिंबित किया है. कोई भी धर्म दूसरे धर्मों से नफरत करना नहीं सिखाता. चूंकि भागवत साहब विद्वान हैं, इसलिए वे हिंदू धर्म के सार को समझते हैं. आशा है कि आरएसएस प्रमुख के बयान का देश में हर कोई पालन करेगा.” उनके गुवाहाटी स्थित मदरसे ने 2013में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का ध्यान आकर्षित किया था.
जाने-माने सर्जन और पद्मश्री डॉ इलियास अली ने कहा कि भागवत का बयान सकारात्मक है और इसे जमीन पर दिखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर धर्म में कट्टरपंथी तत्व होते हैं और हिंदू धर्म इसका अपवाद नहीं है. डॉ अली ने कहा, “सभ्य समाज को ऐसे कट्टरपंथियों के खिलाफ सामने आना चाहिए. आइए प्रक्रिया शुरू करें.”
प्रसिद्ध लेखक और टिप्पणीकार मैनी महंत ने कहा कि सभी सही सोच वाले हिंदुओं ने धर्म संसद में मुस्लिम विरोधी भाषणों की निंदा की है. उन्होंने कहा, ‘अब #HaridwarDharmSansad के खिलाफ बयान किसी और का नहीं, बल्कि आरएसएस प्रमुख का आया है. मुझे उम्मीद है कि भागवत के शब्द हिंदू धर्म की गलत व्याख्या करने वालों को खामोश कर देंगे.”
एक आभूषण अग्रणी वहीदा रहमान मोहन भागवत के बयान से पूरी तरह सहमत थीं. उन्होंने कहा कि इससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कई गलतफहमियों को दूर करने में मदद मिलेगी.
प्रमुख इस्लामी विद्वान प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि मुसलमानों ने #MohanBhagwat के बयान का स्वागत किया है.
उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भगत का बयान काबिले तारीफ है, इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता. हालांकि बयान देर से आया, इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए.
साथ ही जमीन पर हालात बदलने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. आरएसएस कोई साधारण संगठन नहीं है.
उन्होंने आरएसएस प्रमुख से भारतीय समाज में संवाद की नींव रखने का भी आग्रह किया, जो देश में भय, आतंक और घृणा को मिटाने में मदद करेगा.
वेस्टर्न कोल्ड फील्ड्स के पूर्व मुख्य प्रबंधक और एक एनजीओ के सलाहकार गुलाम कादिर ने भागवत की टिप्पणी का स्वागत किया और कहा कि सरकार को नफरत फैलाने वाले संगठनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “मोहन भागवत जी परिपक्वता से बोले. लेकिन कौन हैं, वो लोग जो #HaridwarDharmSansad में भड़काऊ बातें करते हैं और उनका मकसद क्या है? इसे भी सामने लाया जाना चाहिए. धर्म संसद की अभद्र भाषा की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में किए जाने के बावजूद इस तरह की बातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. देश पहले से ही कोरोनावायरस महामारी के कारण पीड़ित है और इसके बीच में ऐसे लोग हैं, जो शांति को खतरे में डालना चाहते हैं.”
आरएसएस की मुस्लिम शाखा, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि किसी को भी देश के विघटन के बारे में नहीं बोलना चाहिए, लेकिन धर्म संसद में अभद्र भाषा के पैरोकारों की आलोचना करने से इनकार कर दिया.
किसी को भी देश तोड़ने की बात नहीं करनी चाहिए. हमारा संगठन, हमारे नेता इंद्रेश कुमार देश की अखंडता, भाईचारे की बात करते हैं. धर्म संसद के आयोजकों की अपनी सोच है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक खुर्शीद रजाका ने कहा कि उनसे यह पूछना बेहतर होगा कि वे ऐसा क्यों करते हैं.
दिसंबर में हरिद्वार में एक धर्म संसद को कथित भड़काऊ भाषणों के लिए हरी झंडी दिखाई गई थी और हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया था.
एक पत्रकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश ने अभद्र भाषा अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया.
हरिद्वार धर्म संसद के दो वक्ताओं महमंडलेष्वर यति नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी को उनके नफरत भरे भाषणों के लिए पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था. निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.
— Syed Sadatullah Hussaini (@sadathusaini) February 7, 2022