मुस्लिम नेताओं ने भारत सरकार से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-07-2025
Muslim leaders demanded immediate intervention from the Indian government
Muslim leaders demanded immediate intervention from the Indian government

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

ग़ज़ा में लगातार बिगड़ते हालात और भूखमरी की स्थिति को लेकर भारत के प्रमुख मुस्लिम नेताओं और सामाजिक संगठनों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर तत्काल मानवीय हस्तक्षेप करे और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ग़ज़ा के पीड़ितों के पक्ष में आवाज़ उठाए.
 
मुस्लिम रहनुमाओं का कहना है कि ग़ज़ा में भोजन, पानी और दवाइयों की भीषण कमी है, लोग भूख से तड़प रहे हैं, और महिलाएं व बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। बावजूद इसके, दुनिया की बड़ी ताकतें खामोश तमाशबीन बनी हुई हैं. उनका आरोप है कि यह खामोशी अंतरात्मा को झकझोरने वाली है और मानवता पर एक बड़ा धब्बा है.
 
 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, इमारत-ए-शरिया और कई अन्य संगठनों ने संयुक्त बयान जारी कर केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि भारत ग़ज़ा में हो रही त्रासदी पर खुलकर अपना रुख स्पष्ट करे और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समन्वय स्थापित करे.
 
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "ग़ज़ा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं. बच्चों के पास दूध नहीं है, अस्पतालों में दवाइयां नहीं हैं, और लोग खुले आसमान के नीचे भूख से दम तोड़ रहे हैं। भारत को अपने ऐतिहासिक मानवीय दृष्टिकोण के तहत इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए."
 
इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर ग़ज़ा की हालत पर नाराज़गी जताई और कहा कि भारत को चाहिए कि वह इज़राइल पर दबाव बनाए ताकि वहां राहत सामग्री पहुंच सके और नागरिकों पर हमले बंद हों.
 
ग़ज़ा को लेकर देशभर के कई मुस्लिम इलाकों में शांति मार्च, दुआएं और प्रार्थनाएं की जा रही हैं. कुछ जगहों पर राहत सामग्री एकत्रित करने का भी अभियान शुरू हुआ है जिसे सरकार या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के माध्यम से भेजे जाने की योजना है.
 
नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे ग़ज़ा संकट पर सार्वजनिक बयान जारी करें और भारत की ओर से एक मानवीय संदेश दें, जिससे वैश्विक समुदाय को भी दिशा मिले। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि को निर्देश दिया जाए कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएं.