नागपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को नागपुर में आयोजित ‘शिवशास्त्र शौर्यगाथा’ प्रदर्शनी का दौरा किया। इस प्रदर्शनी में छत्रपति शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक 'वाघ-नख' प्रमुख आकर्षण रहा। भागवत ने कहा कि यह हथियार हमारे वीरता भरे इतिहास की प्रतीक है और हर भारतीय को इसे देखना चाहिए।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा,“छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ-नख हमें हमारे शौर्य के इतिहास की याद दिलाता है। यह सिर्फ एक हथियार नहीं, हमारी आत्मगौरव की निशानी है। सभी को इसे अवश्य देखना चाहिए।”
प्रदर्शनी में मराठा साम्राज्य के दौर में उपयोग में लाए गए 190 अन्य पारंपरिक हथियारों को भी प्रदर्शित किया गया है, जिनमें भाले, तलवारें, खंजर, दंडपट्ट, अग्निबाण, कुल्हाड़ी और ढाल शामिल हैं।
वाघ-नख को लेकर बताया गया कि यह 17वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में बना था। स्टील से बने इस हथियार में चार नुकीले पंजे होते हैं, जो एक छड़ से जुड़े होते हैं। इसे हथेली में छिपाकर इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया था। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, शिवाजी महाराज ने 1659 में अफजल खान का वध इसी वाघ-नख से किया था, जो आदिलशाही सल्तनत का सेनापति था।
प्रदर्शनी में यह भी जानकारी दी गई कि यह ऐतिहासिक हथियार वर्तमान में लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय के दक्षिण एशियाई संग्रह का हिस्सा है।
भागवत ने पास के शिव मंदिर में दर्शन भी किए और कहा कि“सच्ची शिव भक्ति सादगी, त्याग और करुणा के मार्ग पर चलने में है। शिव ने ब्रह्मांड की रक्षा के लिए विषपान किया — हमें भी उनके गुणों को आत्मसात करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि अगर समाज को नकारात्मक मानसिकता से उबरना है, तो भगवान शिव की प्रार्थना और उनके आदर्शों को अपनाना होगा।