नई दिल्ली. मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल के पट्टे को समाप्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने या याचिकाकर्ता ट्रस्ट द्वारा दावा की गई किसी भी राहत को देने से इनकार कर दिया था.
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने इस वर्ष 18 मार्च को पारित अपने निर्णय में कहा, ‘‘भले ही राज्य सरकार के विवादित निर्णय में कुछ प्रक्रियागत अनियमितताएं हों, लेकिन इस न्यायालय द्वारा किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने से पूरी तरह से अवैध अनुदान की बहाली हो जाएगी.’’
सर्वोच्च न्यायालय की कार्यसूची के अनुसार जौहर ट्रस्ट द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर 14 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा सुनवाई की जानी है.
मुकदमेबाजी के पहले के दौर में, सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से पट्टे की समाप्ति को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने को कहा था.
शीर्ष न्यायालय ने पिछले वर्ष दिसंबर में आदेश दिया था कि परिसर की सीलिंग के खिलाफ तत्काल अंतरिम राहत की मांग करने वाले आवेदन पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा विचार किया जाएगा.
जौहर ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने अंतरिम आवेदन को लंबित रखा और रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया. बाद में हाईकोर्ट ने मामले को यह कहते हुए जारी कर दिया कि इस पर नए सिरे से सुनवाई की जरूरत है. रामपुर पब्लिक स्कूल का पट्टा जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था और तदनुसार, रामपुर के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने निर्देश दिया था कि भवन खाली कराया जाए. जब स्कूल भवन खाली नहीं हुआ तो रामपुर जिला प्रशासन ने पूरे परिसर को सील कर दिया. इसके खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारिणी ने जिला प्रशासन के फैसले को रद्द करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था.
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