मीरवाइज़ उमर फारूक ने दी सफाई, बोले- अकाउंट हटने की चेतावनी मिली थी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
Mirwaiz Umar Farooq issued a clarification, saying he had received a warning that his account would be removed.
Mirwaiz Umar Farooq issued a clarification, saying he had received a warning that his account would be removed.

 

श्रीनगर

ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के अध्यक्ष मीरवाइज़ उमर फारूक ने शुक्रवार को अपने सत्यापित सोशल मीडिया अकाउंट्स से ‘चेयरमैन, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ का उल्लेख हटा दिया। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फेसबुक दोनों प्लेटफॉर्म से यह पदनाम हटाया है।

इस कदम को लेकर मीरवाइज़ उमर फारूक ने स्पष्ट किया कि यह फैसला उन्होंने दबाव में लिया है। उनका कहना है कि अधिकारियों की ओर से उन्हें चेतावनी दी गई थी कि यदि वह अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से हुर्रियत चेयरमैन का उल्लेख नहीं हटाते, तो उनके अकाउंट्स को बंद किया जा सकता है। अधिकारियों ने इसका कारण हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और उससे जुड़ी सभी इकाइयों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत लगे प्रतिबंध को बताया।

एक्स पर साझा किए गए अपने बयान में मीरवाइज़ ने लिखा कि पिछले कुछ समय से उन पर अपने सोशल मीडिया हैंडल में बदलाव करने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की सभी घटक इकाइयों, जिनमें उनकी अगुवाई वाला आवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, को यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसके चलते हुर्रियत को एक प्रतिबंधित संगठन माना जा रहा है।

मीरवाइज़ ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में सोशल मीडिया उनके लिए जनता से संवाद का एकमात्र प्रभावी माध्यम बचा है। उन्होंने लिखा, “ऐसे समय में जब सार्वजनिक मंच और संवाद के रास्ते बेहद सीमित कर दिए गए हैं, यह प्लेटफॉर्म मेरे लिए अपने लोगों और बाहरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचाने के गिने-चुने साधनों में से एक है। ऐसे में मेरे पास बहुत सीमित विकल्प थे।”

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े अधिकांश संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान कई वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं को कड़े कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया, जबकि कुछ ने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली।

मीरवाइज़ उमर फारूक के नेतृत्व वाला आवामी एक्शन कमेटी भी केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल है। ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना 9 मार्च 1993 को हुई थी और यह जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठनों के एक साझा मंच के रूप में उभरा था।