मंत्री बिंदु ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ‘ज्ञान सभा’ में भाग लेने पर आड़े हाथों लिया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-07-2025
Minister Bindu slammed the Vice Chancellors of universities for participating in 'Gyan Sabha'
Minister Bindu slammed the Vice Chancellors of universities for participating in 'Gyan Sabha'

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने सोमवार को कोच्चि में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था द्वारा आयोजित ‘ज्ञान सभा’ में राज्य के कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की भागीदारी की कड़ी आलोचना करते हुए इसे राज्य की प्रगतिशील शैक्षणिक विरासत के खिलाफ एक ‘‘चिंताजनक कदम’’ करार दिया.
 
एक तीखे बयान में मंत्री बिंदु ने संघ परिवार पर आधुनिक, समावेशी उच्च शिक्षा के प्रति बुनियादी रूप से विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि विश्वविद्यालयों पर वैचारिक नियंत्रण स्थापित करने के प्रयासों का दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए.
 
मंत्री का यह बयान उस दिन आया, जब राज्य के चार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने रविवार को कोच्चि में आयोजित एक राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ में हिस्सा लिया, जिसका उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने किया था। बताया जाता है कि, इनमें से एक कुलपति वामपंथी सरकार द्वारा नियुक्त हैं.
 
‘ज्ञान सभा’ का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया था.
 
बिंदु ने कहा, ‘‘आज की दुनिया की जरूरतों के अनुरूप एक आधुनिक उच्च शिक्षा प्रणाली संघ परिवार के लिए असहनीय है। तथाकथित ‘ज्ञान सभा’ दरअसल उस व्यापक और प्रतिगामी प्रयास का हिस्सा है, जिसके माध्यम से केरल की ज्ञान-आधारित समाज व्यवस्था को ब्राह्मणवादी प्रभुत्व की ओर मोड़ने की कोशिश की जा रही है। इस एजेंडे को नजरअंदाज करना, इतिहास से मुंह मोड़ना है.’
 
उन्होंने ‘ज्ञान सभा’ में कुछ कुलपतियों की भागीदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे इस “अशिक्षा और ज्ञान-विरोधी अभियान” को बढ़ावा मिलता है, जो शैक्षणिक स्वतंत्रता और स्वतंत्र चिंतन को दबाने की कोशिश है.
 
बिंदु ने तीखे शब्दों में कहा, “यह संघ के लिए गर्व की बात हो सकती है कि कुछ कुलपतियों का मन, जो ज्ञान सृजन के अगुवा माने जाते हैं, अब बौद्धिक विरोध के गढ़ में बदल गया है। लेकिन केरल के लिए यह शर्म की बात है.
 
उन्होंने आगाह किया कि समावेशी शैक्षणिक संस्थानों को ‘हिंदू राष्ट्र’ के वैचारिक प्रशिक्षण केंद्रों में बदलने के प्रयास बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.