मुंबई
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारंगे की भूख हड़ताल मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गई। इस बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को दोपहर तक सभी सड़कों को खाली करने और सामान्य स्थिति बहाल करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि मराठा आंदोलन ने सभी शर्तों का उल्लंघन किया है और मुंबई को लगभग ठप कर दिया है। सोमवार को विशेष सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह प्रदर्शनकारियों को "एक मौका" दे रहा है कि वे मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कों को खाली करें और सफाई सुनिश्चित करें।
जारंगे वर्तमान में दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं। कोर्ट ने स्थिति को "गंभीर" बताते हुए कहा कि प्रदर्शन के पहले तय की गई सभी शर्तों का उल्लंघन हुआ है, और प्रदर्शनकारियों को निर्देशित किया कि वे केवल निर्धारित स्थान पर ही रहें।
न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और गौतम अंखड़ की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि प्रदर्शन के लिए कोई वैध अनुमति नहीं है, राज्य सरकार को कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अब और प्रदर्शनकारी मुंबई में प्रवेश न करें।
जब कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी आजाद मैदान के बाहर, जैसे कि सीएसएमटी, चर्चगेट, मरीन ड्राइव, और यहां तक कि हाई कोर्ट परिसर तक में जमा हो रहे हैं, तब 43 वर्षीय मनोज जारंगे ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे कोर्ट के निर्देशों का पालन करें और जनता को असुविधा न पहुँचाएँ।
जारंगे, जो मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, ने सोमवार दोपहर से पानी पीना भी बंद कर दिया था, हालांकि कोर्ट के निर्देशों के बाद उन्होंने शाम को कुछ घूंट पानी पिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार हाई कोर्ट के आदेशों को लागू करेगी, और मराठा आरक्षण विवाद को सुलझाने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी चटाई बिछाकर सड़कों पर नहा रहे हैं, खाना पका रहे हैं और खुले में शौच कर रहे हैं, जिससे मुंबई की व्यवस्था चरमरा गई है।
एडवोकेट जनरल बीरेन्द्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक ही दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी प्रदर्शन जारी है और सभी शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर जारंगे का यह दावा सही है कि लाखों अन्य लोग और आने वाले हैं, तो राज्य सरकार ऐसी स्थिति से कैसे निपटेगी?
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, "जारंगे कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे और अनशन पर बने रहेंगे। यह सीधा धमकी भरा बयान है। राज्य सरकार सड़कों को साफ क्यों नहीं करवा रही?"
"प्रदर्शनकारी सिर्फ आजाद मैदान पर ही क्यों नहीं हैं? वे इधर-उधर घूम क्यों रहे हैं? हम सामान्य स्थिति चाहते हैं," कोर्ट ने कहा।
इससे पहले सोमवार को डॉक्टरों की टीम ने जारंगे की सेहत की जांच की। उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस पर जानबूझकर निर्णय में देरी करने का आरोप लगाया।
जारंगे ने कहा, "मराठों को आरक्षण देने का निर्णय लेना कोई मुश्किल काम नहीं है। सरकार को बस यह घोषणा करनी है कि हैदराबाद, सतारा और अन्य गजेटियरों को लागू किया जा रहा है और मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुंबी घोषित किया जा रहा है। जिला कलेक्टर और तहसीलदार ऐसे प्रमाणपत्र बांट सकते हैं।"
हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार दोपहर के लिए तय की है और कहा है कि अगर तब तक जारंगे की तबीयत बिगड़ती है तो सरकार उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान करे।