कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रवासी बंगाली मज़दूरों के पुनर्वास के लिए नई योजना ‘श्रमश्री’ की घोषणा की। इस योजना के तहत अन्य राज्यों से लौटने वाले मज़दूरों को, जिन्हें बंगाली भाषा बोलने पर कथित रूप से भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, ₹5,000 मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी।
ममता बनर्जी ने कहा, “केवल बंगाली बोलने की वजह से अन्य राज्यों में उन्हें अपराधी करार दिया गया। आज लगभग 22 लाख प्रवासी मज़दूर बंगाल से बाहर काम कर रहे हैं और उन्हें अपमान सहना पड़ रहा है।”
योजना की प्रमुख बातें:
प्रवासी मज़दूरों को एक वर्ष तक ₹5,000 प्रतिमाह मिलेगा।
यह राशि तब तक जारी रहेगी जब तक वे राज्य में नई नौकरी हासिल नहीं कर लेते।
योजना का क्रियान्वयन श्रम विभाग करेगा।
यह योजना केवल बंगाली प्रवासी मज़दूरों के लिए होगी।
राज्य सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। अब पश्चिम बंगाल के सभी सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स में प्रतिदिन कम से कम एक बंगाली फिल्म का प्रदर्शन अनिवार्य होगा।
हर साल कुल 365 प्राइम-टाइम शो (3 बजे से 9 बजे तक) बंगाली फिल्मों के लिए निर्धारित किए जाएंगे।
यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा और अगले आदेश तक जारी रहेगा।
इसके लिए 1956 के नियमों में आवश्यक संशोधन भी किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि इस कदम से क्षेत्रीय सिनेमा की दृश्यता बढ़ेगी, साथ ही बंगाली फिल्म उद्योग और स्थानीय व्यवसायों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
इससे पहले सरकार ने मिनी-सिनेमा हॉल खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाया था, ताकि बंगाली फिल्मों और कंटेंट को और बढ़ावा मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि यह पहल स्थानीय संस्कृति को मजबूती देने और छोटे व्यवसायों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगी।