बिहार के कारखाने में बने 150 ‘मेक इन इंडिया’ इंजन गिनी को होगा निर्यात

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-06-2025
150 'Make in India' engines made in Bihar factory will be exported to Guinea
150 'Make in India' engines made in Bihar factory will be exported to Guinea

 

पटना

‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बिहार के मरहोरा डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री में निर्मित 150 Evolution Series ES43ACmi इंजन अब अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात किए जाएंगे। ये इंजन वैबटेक (Wabtec) के सहयोग से तैयार किए गए हैं और गिनी के सिमांडू लौह अयस्क परियोजना (Simandou Iron Ore Project) को शक्ति प्रदान करेंगे।

इस ऐतिहासिक समझौते की अनुमानित कीमत 3,000 करोड़ रुपये से अधिक है और यह भारत के अंतरराष्ट्रीय रेल इंजन निर्माण क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

तीन वर्षों में होगानिर्यात

अधिकारियों के अनुसार:

चालू वित्त वर्ष में 37 इंजन

अगले वित्त वर्ष में 82 इंजन

तीसरे वर्ष में 31 इंजन

गिनी को निर्यात किए जाएंगे।

प्रत्येक लोकोमोटिव में एकल केबिन होगा, और दो इंजन मिलकर 100 वैगनों का भार ढोने में सक्षम होंगे। इन इंजनों की अधिकतम अनुमत गति भी उल्लेखनीय होगी।

बहुव्यापीतकनीकीक्षमताएं

मरहोरा लोको फैक्ट्री परिसर में ब्रॉड गेज, स्टैंडर्ड गेज और केप गेज ट्रैक बिछाए गए हैं, जिससे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इंजन तैयार किए जा सकते हैं और उनकी जांच भी की जा सकती है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारतकीजीत

यह परियोजना वैश्विक प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से हासिल की गई, जो भारत की विनिर्माण क्षमता और गुणवत्ता को वैश्विक मंच पर दर्शाती है।

ये लोकोमोटिव्स अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं:

4500 HP की शक्ति,

AC प्रोपल्शन सिस्टम,

रीजनरेटिव ब्रेकिंग,

माइक्रोप्रोसेसर आधारित नियंत्रण,

मॉड्यूलर आर्किटेक्चर.

इसके अलावा, इंजनों में उच्चतम उत्सर्जन मानकों, फायर डिटेक्शन सिस्टम, और चालक दल के लिए आरामदायक केबिन शामिल हैं जिनमें फ्रिज, माइक्रोवेव और वॉटरलेस टॉयलेट सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

DPWCS (डिस्ट्रिब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम) की मदद से यह इंजन एकसाथ समन्वयित रूप से संचालन कर सकेंगे, जिससे माल ढुलाई में बेहतर नियंत्रण और क्षमता सुनिश्चित होगी।

मरहोरा बना वैश्विक निर्यात केंद्र

यह परियोजना न केवल भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में सशक्त करती है, बल्कि मरहोरा फैक्ट्री को वैश्विक रेल निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करती है। इससे स्थानीय रोजगार में वृद्धि हुई है और तकनीकी कौशल का विकास भी हो रहा है।

वर्तमान में फैक्ट्री में 285 लोग सीधे कार्यरत हैं, जबकि इसके परिचालन से जुड़े 1,215 लोग परोक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, देशभर में इस संयुक्त उपक्रम से जुड़े सेवा और अन्य कार्यों के लिए 2100 से अधिक लोग कार्यरत हैं।

यह डील भारत-अफ्रीका आर्थिक सहयोग को और सशक्त करेगी और गिनी के सबसे बड़े लौह अयस्क परियोजना के बुनियादी ढांचे के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी।