मध्य प्रदेशः टीपू और फरीद खान ने मंदिर के लिए दान किया बड़ा भूखंड

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-09-2022
मध्य प्रदेशः टीपू और फरीद खान ने मंदिर के लिए दान किया बड़ा भूखंड
मध्य प्रदेशः टीपू और फरीद खान ने मंदिर के लिए दान किया बड़ा भूखंड

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-टीकमगढ़

एक परित्यक्त पुराना कृष्ण मंदिर उत्कृष्ट बुंदेली वास्तुकला का एक विशिष्ट उदाहरण है, जो भोपाल से 300 किमी दूर टीकमगढ़ के बाहरी इलाके में मामोन गांव में 1.5 एकड़ भूमि पर स्थित है. इस साल फरवरी में मंदिर धार्मिक सद्भाव और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बन गया. दो चचेरे भाई और रियल एस्टेट बिजनेस पार्टनर टीपू खान और फरीद खान ने पिछले साल जमीन खरीदी थी. अब उन्होंने मंदिर के चारों ओर 10,000 वर्ग फुट जमीन मंदिर के लिए दान करने का फैसला किया, ताकि इसे पुनर्निर्मित और फिर से पवित्र किया जा सके.

द वीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय स्थानीय हिंदुओं के लिए सुखद आश्चर्य का विषय बन गया. दान की गई जमीन की कीमत बाजार दर पर कम से कम 50 लाख रुपये है. चचेरे भाइयों ने दान की गई जमीन के चारों ओर एक चारदीवारी भी बनाई है, अपनी जेब से 3 लाख रुपये खर्च किए है.

हिंदुओं ने तब परित्यक्त मंदिर में रामायण के सुंदर कांड का पाठ किया और पुरातत्व विभाग द्वारा किए जाने वाले जीर्णोद्धार के लिए मौके पर ही 25 लाख रुपये जुटाए. कार्यक्रम में टीपू खान भी शामिल हुए. 32 वर्षीय टीपू खान ने कहा, ‘‘भूमि टीकमगढ़ के प्रसिद्ध शनि देव मंदिर के सामने स्थित है और हमें लगा कि सुंदर मंदिर फिर से जीवंत हो जाना चाहिए. हमने महसूस किया कि 1,500 वर्ग फुट भूमि जिस पर यह खड़ा है, वह भव्य धार्मिक सभाओं के लिए पर्याप्त नहीं होगी. इसलिए हमने इस उद्देश्य के लिए 10,000 वर्ग फुट अतिरिक्त भूमि दान करने का फैसला किया.’’

40 वर्षीय फरीद खान ने कहा, ‘‘टीकमगढ़ अपने घनिष्ठ सामाजिक और सांप्रदायिक ताने-बाने के लिए जाना जाता है. हम अपने हिंदू भाइयों की भावनाओं को बिना बताए ही समझते हैं.’’ जमीन 62 वर्षीय कमलेश रिछारिया के परिवार की थी, जिन्होंने अपने घर में मूर्तियां रखी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपने एक पोते के कैंसर के इलाज के लिए जमीन बेचनी पड़ी. अगर कुछ हिंदुओं ने जमीन खरीदी होती, तो शायद उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए इतना बड़ा टुकड़ा दान नहीं किया होता. टीपू और फरीद ने जो किया है, उसे हमेशा याद किया जाएगा.’’

उन्होंने कहा कि मंदिर को शायद इसलिए छोड़ दिया गया था, क्योंकि मामोन बस्ती इससे एक किलोमीटर दूर चली गई थी. उन्होंने कहा कि खानों ने भूखंड के दूसरे छोर पर अतिरिक्त 1,000 वर्ग फुट जमीन छोड़ दी, जहां उनके पूर्वजों के स्मारक थे. इस हिस्से की कीमत पांच लाख रुपये थी.

टीपू और फरीद ने कहा कि वे जल्द ही एक कानूनी दान-पत्र (गिफ्ट डीड) जिला कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी को सौंपेंगे. द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह टीकमगढ़ जिले में धार्मिक सद्भाव का एक वास्तविक उदाहरण है, जो हमेशा एक शांतिपूर्ण क्षेत्र रहा है.’’ चचेरे भाइयों को भी उनके समुदाय का पूरा समर्थन प्राप्त है. हाल ही में टीकमगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष चुने गए एक पारिवारिक मित्र अब्दुल गफ्फार ने कहा, ‘‘टीपू और फरीद ने टीकमगढ़ की भावना का प्रदर्शन किया है. हमें अपने पूर्वजों से एक मजबूत मिश्रित संस्कृति विरासत में मिली है. हम इसे और मजबूत करेंगे.’’

विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी मुकेश तिवारी भी खानों की उतनी ही सराहना करते हैं. तिवारी ने कहा, ‘‘उन्होंने जो अच्छा काम शुरू किया है, उसके लिए हम उनके सहयोगी बन गए हैं. यह वास्तव में बहुत अच्छा होगा कि इस मंदिर को सांप्रदायिक सौहार्द के सच्चे प्रतीक के रूप में पुनर्निर्मित किया जाए.’’